यूनिवर्सिटी में स्क्रूटनी, री-चेकिंग के नए नियमों से परेशान स्टूडेंट्स

कॉपियों की फोटोकॉपी मिलने में लग रहा 20-25 दिन का समय

Meerut। सीसीएस यूनिवर्सिटी के बदले नियम स्टूडेंट्स के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। दरअसल, यूनिवर्सिटी के नियमों के मुताबिक रिजल्ट आने के एक महीने के अंदर ही छात्र स्क्रूटनी या री-चेकिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं, इसके बाद उनके आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब छात्रों की दिक्कत यह है कि यूनिवर्सिटी में आरटीआई के तहत कापियां दिखाने का समय एक माह ही निर्धारित है। वहीं, कॉपियों की फोटो कॉपी मिलने में ही 20 दिन का समय लगता है। ऐसे में स्टूडेंट को जब तक गलत मूल्यांकन का पता लगता है, तब तक काफी कम समय बचता है। ऐसे में स्टूडेंट्स आपत्ति दर्ज नहीं करा पाते हैं।

ये है मुश्किल

छात्रों के मुताबिक आरटीआई के तहत कॉपियां दिखाने के लिए एक माह का समय है, लेकिन छात्रों को फोटो कॉपी मिलने में 20 दिन का समय लगता है। अब सवाल यही है कि ऐसे में जब स्टूडेंट को गलत मूल्यांकन का पता नहीं लगता है तो वो चुनौती समय पर कैसे दे सकते हैं।

दो तरीके की है व्यवस्था

फिलहाल, यूनिवर्सिटी में री-चेकिंग और स्क्रूटनी के लिए दो तरह से आवेदन की व्यवस्था है। पहला छात्र आरटीआई के माध्यम से अपनी कॉपी देख सकते हैं। और दूसरा इसी प्रक्रिया से उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी ले सकते हैं। अब इन दोनो प्रक्रिया के तहत समय सीमा तय है। छात्रों को फोटो कॉपी मिलने में ही 15-25 दिन लग रहे हैं। अब छात्रों को कॉपी देखने और उसकी फोटोकॉपी लेने में ही तकरीबन एक माह बीत रहा है तो वे आपत्ति कैसे जता सकते हैं।

स्टूडेंट के लिए है दिक्कत

यूनिवर्सिटी की ओर से रिजल्ट घोषित होने के एक माह के भीतर ही असंतुष्ट छात्र तीन हजार रुपए प्रति प्रश्नपत्र की दर से चुनौती देकर मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते है। अब मुश्किल यह है कि रिजल्ट घोषित होने के एक महीने में तो स्टूडेंट को कॉपी के सही तरह से चेक होने अथवा नहीं होने की स्थिति पता चल पा रही है।

ये हैं नए नियम

यदि छात्र की कॉपी में पहले से मिले नंबर री-चेकिंग या स्क्रूटनी में 12 फीसदी से कम बढ़ते हैं तो अंकों में कोई बदलाव नहीं होगा। साथ ही छात्र की तीन हजार रुपए की फीस जब्त कर ली जाएगी।

यदि छात्र के नंबर 12 फीसदी या इससे अधिक बढ़ते हैं और फेल छात्र पास हो जाता है तो उसकी कॉपी तीसरे परीक्षक से चेक होगी। तीसरे परीक्षक को दूसरे परीक्षक द्वारा दिए गए नंबरों की जानकारी नहीं दी जाएगी।

यदि प्रथम परीक्षक द्वारा दिए गए अंक और अन्य दो परीक्षकों द्वारा दिए गए मा‌र्क्स का अंतर पूणरंक के 12 फीसदी से कम रहा अथवा फेल छात्र फेल ही रहा तो पहले परीक्षक के ही अंक मान्य होंगे। छात्र की तीन हजार रुपए भी जब्त कर लिए जाएंगे।

यदि अंतर 12 फीसदी से अधिक रहता है अथवा फेल छात्र पास हो जाता है तो दूसरे एवं तीसरे परीक्षक के अंक मान्य होंगे। इस स्थिति में तीन हजार रुपए छात्र को वापस कर दिए जाएंगे। स्क्रूटनी या पुन-मूल्यांकन में छात्रों को ग्रेस अंक नहीं दिए जाएंगे।

इस मामले में बीच का रास्ता निकाला जा रहा है, विचार चल रहा है। जल्द ही एक नया नियम बनाया जाएगा, जिससे ये परेशानी दूर होगी।

प्रो। वाई विमला, प्रोवीसी, सीसीएसयू

री-चेकिंग के लिए बनाई कमेटी

कॉपियों की चेकिंग में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी ने अब टीचर्स से ही सुझाव मांगे हैं। प्रोवीसी प्रो। वाई विमला ने बताया कि मूल्यांकन को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए टीचर्स से एडवाइस ली जा रही है, ताकि कॉपियों में मूल्यांकन में सुधार किया जा सके।

गठित की नई कमेटी

यूनिवर्सिटी में बीते दिनों 60 कापियों को बिना जांचे मा‌र्क्स देने का मामला समाने आया था। जिसमें टीचर को तो डिबार किया गया था लेकिन संबंधित कॉपियों की री चेकिंग नहीं हो पाई थी। ऐसे में अब इन कॉपियों की चेकिंग के लिए यूनिवर्सिटी ने पांच सदस्यीय एक कमेटी गठित की है। ये इन कॉपियों की री चेकिंग करेंगे।