शोधकर्ताओं ने ऐसे दो जीन खोज निकाले हैं जो माता-पिता से उनके बच्चों तक पहुंचते हैं जो ट्यूमर होने का खतरा बढ़ा देते हैं.

ये शोध 'नेचर जेनेटिक्स' नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है जिसमें ऐसे 20 लोगों के डीएनए का विश्लेषण किया गया जिनके आंतों का कैंसर वंशानुगत रूप से मिला है.

इस शोध की मदद से ऐसे टेस्ट को विकसित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति में आंत के कैंसर की आशंका समय रहते जता सकता है.

आपबीती और रोकथाम

अध्ययन में शामिल हैम्पशयर के जोए वीगेंड नामक एक व्यक्ति को आंत के कैंसर के बारे में तब पता जब वे 28 वर्ष के थे. इसकी वजह से उनके मलाशय का ज्यादातर हिस्सा निकालना पड़ा.

जोए बताते हैं, ''मेरे परिवार के और लोगों को भी आंत का कैंसर रहा है. मेरी दादी और बुआ दोनों को कैंसर था. मेरे पिता को कैंसर का पता तब चला जब उनकी उम्र 43 वर्ष थी. मेरे कुछ चचेरे भाइयों को भी यही समस्या थी.''

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर इयान टॉमलिन्सन कहते हैं, ''पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस तरह आंत का कैंसर होने की मुख्य वजह दो जीन हैं. यदि आपको ये जीन विरासत में मिलते हैं तो आंत का कैंसर होने की आशंका प्रबल हो जाती है.''

अहम जानकारी

प्रोफेसर इयान टॉमलिन्सन कहते हैं कि इस तरह के लोगों को नियमित रूप से अपनी जांच कराने की जरूरत है.

कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रिचर्ड हॉलस्टन कहते हैं कि इस शोध के नतीजे बेहद अहम हैं जिनसे आंतों के कैंसर की वजह पर रोशनी पड़ती है.

लेकिन कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट की ही डॉक्टर जूलिन का मानना है कि कैंसर के मरीजों के लिए ये एक और पहेली ही है.

वे कहती हैं कि इस शोध की मदद से चिकित्सक उन परिवारों के लोगों को बचा सकते हैं जिनमें आंत का कैंसर आनुवांशिक रूप से होता रहा है, लेकिन इसके लिए कैंसर के बारे में समय रहते पता चलना बेहद जरूरी है.

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