1966 में चेतन आनंद की फिल्म 'आखिरी खत' से अपने बॉलिवुड करियर की शुरूआत करने वाले जतिन खन्ना यानि राजेश खन्ना ने अपनी गहरी छाप इस इंडस्ट्री पर छोड़ी. वो पहले ऐसे स्टार थे जिसने बॉलिवुड को बताया कि असली सुपर स्टार कहते किसे हैं. जिसने बैक टू बैक 15 सुपरहिट मूवीज दे कर फिल्मों में सक्सेज के मायने ही बदल दिए.

राजेश खन्ना ने वो स्टारडम देखा था जो उनके पहले किसी भी बॉलिवुड एक्टर ने नहीं देखा था लिहाजा अमिताभ बच्चन की एंट्री के साथ जब ये स्टार पावर कम होने लगी तो उनके लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया. उन्हें लगा कि वो नजर अंदाज किए जा रहे हैं और इस अहसास से वो टूटने लगे. जितना ज्यादा वो अपने आप को मनवाने की कोशिश करते उतना ज्यादा ये फीलिंग उन्हें अपने कब्जे में लेती गयी.

उनकी डेथ के बाद जिस आखिरी फिल्म 'रियासत' को आज दो साल बाद रिलीज किया जा रहा है वो कहीं ना कहीं उन्हीं की कहानी है. 'रियासत' एक ऐसे शख्स की कहानी है जो अपने इलाके के लोगों के लिए गॉड फादर है और लोग उसे साहब के नाम से बुलाते हैं. साहब अपने पर बिलीव करने वाले लोगों की खातिर कुछ भी करने को तैयार हैं इसलिए उनके लिए खुदा हैं, पर साहब के मुकाबले में आ जाते हैं कुछ माफिया से जुड़े लोग जो उनकी रियासत और प्रजा के लिए खतरा बन जाते हैं.

साहब उनसे टकराते हैं और एक बार फिर अपने होने का अहसास कराकर जीत का परचम लहराते हैं. ये फिल्म खत्म होते राजेश खन्ना की आखिरी उम्मीद थी. इसके साथ वो अपनी वापसी और अपनी ताकत का एलान करना चाहते थे. लेकिन जिंदगी फिल्म नहीं होती अपने सन इन लॉ अक्षय कुमार की जी तोड़ कोशिश के बाद भी राजेश की वापसी नहीं हो सकी और ना ही उनके जीते जी उनकी ये फिल्म रिलीज हो सकी. राजेश जाते समय गुजरे हुए कल का सितारा थे और आज भी वही हैं. लेकिन राजेश जानते थे कि 'जिंदगी कैसी है पहेली...' बस मान ही नहीं सके.  

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