-रिटायर्ड दारोगा के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज कराने के एवज में पुलिस ने फंसाया

-बछरावां निवासी युवक के साथ ही उसके पिता और मामा को भी बनाया आरोपी

-भुक्तभोगियों ने डीजीपी से लगाई गुहार, एसओ बछरावां सुलह के लिये बना रहे दबाव

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW: 'हवन करते हाथ जले'सदियों पुरानी यह कहावत बछरावां निवासी अमित वाजपेयी और उनके परिजनों पर बिलकुल फिट बैठ रही है। बछरावां में बीते दिनों हुए रेल हादसे में घायलों की मदद करने में जी-जान लड़ा देने वाले अमित पर पुलिस ने लूटपाट का मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस ने उनके साथ ही सरकारी नौकरी करने वाले उसके पिता और लखनऊ में रहने वाले उसके मामा को भी हादसे में घायल पैसेंजर्स के संग लूटपाट का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कर ली। पुलिस का अमित व उसके परिवारीजनों पर कोप बिनावजह नहीं है। दरअसल, उसने बछरावां थाने से रिटायर्ड दारोगा के खिलाफ अपनी मौसी की हत्या करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने हत्यारोपी दारोगा के खिलाफ तो कोई कार्रवाई की नहीं बल्कि, उलटे उन्हें ही झूठे मुकदमे में फंसा दिया। फिलहाल भुक्तभोगियों ने डीजीपी कार्यालय में शिकायत कर इंसाफ की गुहार लगाई है।

रिटायर्ड दारोगा के खिलाफ दर्ज कराई थी एफआईआर

बछरावां निवासी अमित वाजपेयी के मुताबिक, उनकी मौसी नीलम (ब्0) की शादी बृजेश मिश्रा के संग हुई थी। बीते तीन साल से नीलम बछरावां थाने में तैनात दारोगा उमानाथ तिवारी के संग पत्‍‌नी की तरह रहने लगी। बीती ख् फरवरी को नीलम का शव घर में रहस्यमय हालात में फंदे से लटका मिला। जानकारी मिलने पर पहुंचे नीलम के भाई व आशीष के मामा कृष्णानगर निवासी सूर्यकांत त्रिपाठी ने रिटायर्ड दारोगा उमानाथ तिवारी, उसकी पहली पत्‍‌नी व बेटे रॉबिंस तिवारी के खिलाफ गला घोंटकर हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई।

आरोपी को करवा दिया फरार

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सूर्यकांत, आशीष व अन्य परिजनों ने आरोपी उमानाथ तिवारी को पकड़कर बीट दारोगा व मामले के विवेचक चंद्रभानु वर्मा के सुपुर्द कर दिया। पर, उन्होंने उसे थाने से फरार करवा दिया। बछरावां थाने से ही रिटायर्ड हुए दारोगा उमानाथ तिवारी के रसूख की वजह से पुलिस ने उनके खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। बल्कि एसआई चंद्रभानु वर्मा ने उलटे सूर्यकांत पर ही सुलह के लिये दबाव बनाने लगा। जब इसकी शिकायत सूर्यकांत ने एसएसपी रायबरेली से की तो उन्होंने आरोपी एसआई चंद्रभानु को लाइन हाजिर कर दिया। हालांकि, रहस्यमय ढंग से एसआई चंद्रभानु तीन दिन बाद फिर से बहाल हो गया और बछरावां थाने में तैनात हो गया।

मदद के बदले बना दिया लूट का आरोपी

ख्0 मार्च को देहरादून से वाराणसी जाने वाली जनता एक्सप्रेस बछरावां में हादसे का शिकार हो गई। इस हादसे में दो कोच बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और उसमें सवार सैकड़ों पैसेंजर्स घायल हो गए। हादसे की खबर लगने पर अमित अपने भाई आशीष के साथ घटनास्थल पर पहुंचा। तब तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंची थी। घायलों का कराहना सुनकर अमित और आशीष वहां मौजूद अपने दोस्तों के साथ घायलों की मदद में जुट गए और उन्हें कोच से बाहर निकालना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद पुलिस और प्रशासनिक ऑफिसर्स मौके पर पहुंच गए। जिसके बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। इस बचाव कार्य में भी अमित व आशीष ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

रेल राज्यमंत्री से शिकायत करना पड़ा महंगा

हादसे की जानकारी मिलने पर रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भी वहां पहुंचे थे। उन्होंने वहां राहत व बचाव कार्य का मुआयना किया। इसी दौरान अमित ने राज्यमंत्री सिन्हा से मौसी की हत्यारोपी दारोगा उमानाथ तिवारी पर बछरावां पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने की शिकायत की। आशीष ने बताया कि उस वक्त वहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे शिकायत करते देख लिया और उसी रात में मुकदमे के विवेचक एसआई चंद्रभान वर्मा ने अमित वाजपेयी, उसके पिता ग्राम विकास अधिकारी रमेश वाजपेयी, उमानाथ तिवारी के खिलाफ हत्या की एफआईआर कराने वाले अमित के मामा सूर्यकांत तिवारी समेत दर्जन भर लोगों के खिलाफ डकैती, गाली गलौज, मारपीट, तोड़फोड़ समेत तमाम संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज करवा दी।

पिता और मामा तो मौजूद ही नहीं थे

आशीष वाजपेयी ने बताया कि घायलों की मदद करने के दौरान वह और उसका भाई तो मौके पर मौजूद थे लेकिन, डकैती के मामले में आरोपी बनाए गए उसके पिता रमेश वाजपेयी चिनहट में ड्यूटी पर थे। इसके अलावा मामा सूर्यकांत भी कृष्णानगर स्थित अपने घर पर ही मौजूद थे। आशीष ने बताया कि जब वे लोग वहां मौजूद ही नहीं थे तो उन्होंने पुलिस की गढ़ी गई कहानी के मुताबिक लूटपाट कैसे की।