- राजभवन की टीम ने चार राज्यों की यूनिवर्सिटी की कार्यशैली का किया अध्ययन   

- यूनिवर्सिटी के अहम पदों पर तैनाती का अधिकार कुलपति को देने की सिफारिश

- नैक मूल्यांकन और सारा काम ऑनलाइन करने पर जोर, शासन खत्म करे हस्तक्षेप

रिपोर्ट में 15 सुझाव व संस्तुतियां की गयी

LUCKNOW (lucknow@inext.co.in)। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर के नेतृत्व मे बनाई गयी कमेटी में विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) राजवीर सिंह राठौर, विशेष कार्याधिकारी आईटी सुदीप बनर्जी शामिल थे। उनकी रिपोर्ट के आधार पर राज्यपाल ने 15 बिंदुओं पर राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने और इस पर गहन चर्चा किए जाने की कवायद की है। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तामिलनाडु में स्थित देश की तीन सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी और गुजरात की प्रतिष्ठित महराज सयाजी यूनिवर्सिटी के राज्यपाल/कुलाधिपति, उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी, कुलपति एवं कुलसचिव से अध्ययन दल विचार-विमर्श के बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करके राज्यपाल को सौंपी। जिसमें 15 सुझाव व संस्तुतियां की गयी हैं।

अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया का भी प्रावधान हो

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जहां कुलपतियों को ज्यादा अधिकार दिए जाने की सिफारिश की है तो वहीं दूसरी ओर कुलपति पद की शैक्षिक अहर्ताओं, शोध, शैक्षिक और प्रशासनिक अनुभव का प्रावधान अधिनियम में करने की संस्तुति की है। कमेटी ने यह सिफारिश भी की है कि कुलपति द्वारा किए गये कार्यों का मूल्यांकन भी होना चाहिए। साथ ही, कुलपति पद की सेवा शर्तों को तय किया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया का भी प्रावधान हो।

निजी यूनिवर्सिटीज की फीस पर लगाम जरूरी

इस दौरान राज्यपाल ने निजी यूनिवर्सिटीज द्वारा मनमानी फीस वसूले जाने को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा कि इसे लेकर राज्य सरकार नये नियमों को बनाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने माना कि निजी यूनिवर्सिटीज द्वारा मनमानी फीस वसूली पर अंकुश लगाना जरूरी है।

शासनादेश से चल जाएगा काम

राज्य सरकार को भेजी इन संस्तुतियों मे कई ऐसी है जिनको लेकर केवल शासनादेश जारी करने से काम चल जाएगा। वहीं कुछ ऐसी संस्तुतियां भी हैं जिसके लिए अधिनियम में संशोधन करना आवश्यक होगा।

पुरानी रिपोर्टों पर कार्यवाही नहीं

राजभवन द्वारा उच्च शिक्षा में सुधार को पूर्व में भेजी गयी रिपोट्र्स पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं होने पर राज्यपाल ने कहा कि ऐसा सूबे में सरकार बदलने की वजह से हुआ है। उल्लेखनीय है कि मुजम्मिल कमेटी समेत कई ऐसी रिपोर्ट अभी तक अमल में नहीं लाई जा सकी है।

सुझाव और संस्तुति

1. यूनिवर्सिटी के  विवादों के निस्तारण के लिए न्यायाधिकरण की स्थापना की जाए अथवा कुलाधिपति कार्यालय को अधिक सशक्त किया जाए।

2. कुलपति पद की शैक्षिक अहर्ताओं, शोध, शैक्षिक एवं प्रशासनिक अनुभव का प्रावधान अधिनियम में किया जाए।

3. कुलपति की खोज के लिए गठित समिति के सदस्यों की अहर्ताओं का उल्लेख हो। वह शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाला प्रख्यात शिक्षाविद हो।

4. पारदर्शिता के उद्देश्य से खोज समिति द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तथा इसकी समय सीमा का प्रावधान संबंधित अधिनियम में किया जाए।

5. कुलपति पद की सेवा शर्तें यथा अवकाश, भ्रमण तथा उनके विरुद्ध की जाने वाली अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया का प्रावधान किया जाए।

6. कुलपति द्वारा संपादित कार्यों के मूल्यांकन की प्रक्रिया स्थापित की जाए।

7. यूनिवर्सिटी के अधिकारियों जैसे कुलसचिव, वित्त नियंत्रक, परीक्षा नियंत्रक आदि महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का अधिकार प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए कुलपति को दिया जाए। अथवा नियत समय के लिए कुलपति की सहमति से शासन द्वारा नियुक्ति की जाए।

8. यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक मुद्दों में यथासंभव शासन का हस्तक्षेप सीमित हो एवं सरकार एक सुविधाकर्ता की भूमिका में रहे ताकि यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जा सके।

9. स्ववित्त पोषित कार्यक्रमों के तहत नियुक्त शैक्षिक एवं गैर शैक्षिक कर्मियों की सेवा शर्तों को यूनिवर्सिटी अधिनियम का अंग बनाया जाए।

10. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा पारित विनियमों का अंगीकरण प्राथमिकता पर किया जाए, ताकि शिक्षकों की नियुक्ति एवं प्रोन्नति संबंधी विवादों को नियंत्रित किया जा सके।

11. पारदर्शी कार्यप्रणाली बनाने के लिए प्रवेश से लेकर उपाधि प्रदान करने तक की संपूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाए।

12. नैक मूल्यांकन को आवश्यक किया जाए तथा शासन से वित्तीय सहायता की निरंतरता के लिए इसे अनिवार्य किया जाए।

13. कार्य परिषद एवं यूनिवर्सिटी सभा में नामित किए जाने वाले जनप्रतिनिधि शिक्षा क्षेत्र से संबंध रखने वाले हो।

14. कार्य परिषद, प्रबंध मंडल एवं यूनिवर्सिटी सभा की बैठकों में नामित प्रतिनिधि स्वयं अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें, ताकि इन बैठकों के निर्णयों की सार्थकता रहे और प्रकरणों का निस्तारण यथाशीघ्र हो सके।

15. शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शोध कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ अनुबंध स्थापित किया जाए।    

यूपी में यूनिवर्सिटीज की संख्या

- 28 स्टेट

- 03 ओपन

- 08 डीम्ड

- 06 सेंट्रल

- 32 प्राइवेट

प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता

मुझे विश्वास है कि यूनिवर्सिटी की प्रशासनिक प्रणाली में सुधार लाने के लिए रिपोर्ट में दिए गये मुख्य सुझाव विचारणीय हैं और इनके अंगीकरण से प्रशासनिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इस रिपोर्ट को लेकर शिक्षा क्षेत्र में परिचर्चा, संवाद भी किया जाए।

राम नाईक, राज्यपाल

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