- आरटीओ डिपार्टमेंट के दफ्तर का हाल

- इधर-उधर फेंकी हुई हैं फाइलें, आज तक ऑनलाइन नहीं हो सका रिकॉर्ड

GORAKHPUR: आरटीओ डिपार्टमेंट की सुस्ती आखिर कब टूटेगी। गोरखपुर आरटीओ दफ्तर के जिम्मेदारों की लापरवाही का आलम ये है कि कभी यहां गधे तो कभी चूहे सरकारी फाइलें चबा जाते हैं। ऐसे मामले बार-बार होने के बाद भी जिम्मेदारों पर इसका जरा भी असर नहीं पड़ रहा। वर्षो से यहां फाइलें कमरों और इधर-उधर फेंकी जा रही हैं। हालत यह है कि केवल फाइलों से छह कमरे भरे पड़े हैं और बाकी फाइलें परिसर में फैली हैं। इसके बाद भी इन फाइलों के रिकॉर्ड को ऑनलाइन दर्ज नहीं किया जा सका है। जिसका नतीजा है कि ये फाइलें आरटीओ में रखे-रखे सड़ रही हैं।

नहीं जमा करनी थ्ाीं फाइलें

आरटीओ में फाइलों के जाल को कम करने के लिए एक पहल की गई थी। जिसके तहत आरटीओ में आने वाले लोगों की फाइलों की फोटो और डिटेल कंप्यूटर में फीड किए जाने थे। इसके बाद फाइल आवेदक को वापस दे देनी था। इससे अब और नई फाइलों का बोझ दफ्तर पर नहीं पड़ता। लेकिन ये पहल हवा हवाई हो गई और एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ।

ओटीपी देख करनी थी गाड़ी ट्रांसफर

आरटीओ दफ्तर में आए दिन आ रहे गाड़ी ट्रांसफर के फर्जी केसेज को कम करने के लिए एक स्कीम बनाई गई थी। इसमें गाड़ी मालिक के मोबाइल पर एक ओटीपी नंबर आएगा जिसे कंप्यूटर में लोड करने पर ही ट्रांसफर का काम आगे बढ़ेगा। इससे गाड़ी मालिक की मौजूदगी में ही वाहन ट्रांसफर होता और फर्जीवाड़े पर लगाम लगती। लेकिन इस स्कीम ने एक या दो दिन चलकर दम तोड़ दिया। नेटवर्क की प्रॉब्लम की वजह से ये नहीं हो सका।

फाइलों के ना होने से आएगी प्रॉब्लम

बीते एक अपै्रल से वाहनों का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज किया जा रहा है। ऐसे में फाइलें गायब हो जाएं तो दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन इससे पहले की जिनकी फाइलें हैं उनकी गाड़ी चोरी होने या ट्रांसफर कराने में दिक्कत आएगी। क्योंकि हजारों फाइलें चूहे, गधे और बारिश की भेंट चढ़ गई हैं। इनके अभाव में आगे दिक्कत आना तय है।

क्लेम मिलने में भी परेशानी

आरटीओ दफ्तर में तमाम ऐसे मामले आते हैं जिनमें लाइसेंस का वेरीफिकेशन यहां से होता है। फाइलें गुम हो जाने पर इसमें भी दिक्कत आएगी। वहीं कई फाइलें ऐसे कमरों में कैद हैं जहां कर्मचारी भी जाने से कतराते हैं। आरटीओ दफ्तर के कर्मचारियों का कहना है कि इन कमरों में कई बार सांप निकल चुके हैं इसलिए इन कमरों में कोई नहीं जाता है।

इसलिए जरूरी हैं फाइलें

- लाइसेंस गुम हो जाने पर दोबारा जारी करने के लिए

- वाहन का ट्रांसफर कराते समय

- किसी दूसरे प्रदेश में गाड़ी चलाने के लिए एनओसी कराने के लिए

- चोरी का वाहन बरामद होने पर असली मालिक की पहचान के लिए

ैक्ट फिगर

गोरखपुर में वाहन - करीब 8 लाख

लाइसेंस के लिए डेली आवेदन- 200 से 300

टेस्ट के लिए आते लोग - 150-200

फिटनेस और ट्रांसफर केस - 100 से अध्िाक

वर्जन

अप्रैल से ही सभी डॉक्युमेंट्स को ऑनलाइन वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है। लाइसेंस की फाइल खराब होने से कोई दिक्कत नहीं है। रजिस्ट्रेशन की फाइलें जरूरी हैं। पानी टपकने से जरूर कुछ फाइलें खराब हो जाती हैं।

- श्याल लाल, आरटीओ प्रशासन