-रेफर सेंटर बन कर रहा गया है जिला अस्पताल

-जुकाम और उल्टी दस्त जैसे मरीज भी किये जा रहे रेफर

-जिला अस्पताल से मेडिकल को 20 से 40 मरीज रोजाना होते हैं रेफर

Meerut। जिला अस्पताल और सरकारी सीएचसी व पीएचसी महज मरीजों को रेफर करने तक ही सीमित हैं। यह हम नहीं बल्कि मेडिकल कॉलेज का प्रशासन का दावा है.ताज्जुब की बात तो यह है कि सरकारी अस्पतालों में मेडिकल कॉलेज में रेफर होने वाले इन मरीजों में अधिकांश संख्या उनकी है, जो खांसी व जुकाम जैसी सामान्य बीमारी से पीडि़त हैं।

भारी भरकम स्टाफ

प्रदेश सरकार जिन जिला अस्पतालों पर अच्छा खासा बजट खर्च कर उनको हाईटेक बनाने के प्रयास में जुटी है। वही हॉस्पिटल मरीजों के इलाज की बजाए उनसे पीछा छुड़ाने में अधिक रूचि दिखा रहे हैं। परिणाम यह है कि जनपद का वह जिला अस्पताल जिसमें 40 से अधिक डॉक्टर्स और 250 से अधिक मेडिकल स्टाफ की फौज है, वो केवल रेफर अस्पताल बनकर रह गया है। ताज्जुब की बात यह है कि यहां से जुकाम, खांसी और उल्टी व दस्त जैसे सामान्य बीमारी के मरीज भी रेफर कर दिए जाते हैं।

40 प्रतिशत मरीज रेफर

इसे जिला अस्पताल और वहां की स्टाफ की लापरवाही कहें या फिर उदासीनता का नतीजा कि यहां से रोजाना 35 से 40 प्रतिशत पेशेंट मेडिकल इमरजेंसी के लिए रेफर किए जा रहे हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन पेशेंट्स में अधिकांश सामान्य बीमारी से पीडि़त लोगों की है। ये वो मरीज हैं, जो खांसी, बुखार, उल्टी, दस्त व बदन दर्द जैसी सामान्य बीमारियों से पीडि़त हैं।

मेडिकल इमरजेंसी फुल

मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में 60 बेड की व्यवस्था है। ऐसे में इनमें अधिकांश बेड ऐसे मरीजों से व्यस्त रहते हैं, जो जिला अस्पताल या सीएचसी, पीएचसी से रेफर होकर आए हैं। मेडिकल इमरजेंसी इंचार्ज एक डॉक्टर के अनुसार सामान्य बीमारी से पीडि़त मरीजों की भीड़ के चलते जरूरतमंद मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है।

12 करोड़ का सालाना बजट

हेल्थ डिपार्टमेंट के अनुसार प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल का सालाना बजट 12 करोड़ रुपए का है, जबकि मेडिकल का सालाना बजट केवल 10 करोड़ का है। भारी-भरकम बजट होने के बावजूद भी यहां मरीजों के इलाज में भारी लापरवाही भरती जाती है।

108 का मिस्यूज

यह लापरवाही का ही नतीजा है कि जिला अस्पताल से अधिकांश मरीज मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिए जाते हैं। दरअसल, इलाज में टाल-मटोल की सोच के चलते सीएचसी व पीएचसी पर बैठे डॉक्टर्स सामान्य बीमारी वाले मरीजों को रेफर के नाम पर चलता कर रहे हैं। ये बिना किसी इंडीकेशन के 108 को फोन कर मरीज को इमरजेंसी के लिए भेज देते हैं। डॉक्टर्स ने बताया कि सरकारी हॉस्पिटल से भेजे जाने कुल मरीजों में 10 प्रतिशत मरीज ही इमरजेंसी के लायक होते हैं।

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जिला अस्पताल में यदि किसी स्तर पर लापरवाही की जा रही है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। हॉस्पिटल में दवाई और इलाज के बेहतर इंतजाम किए गए हैं।

-डॉ। सुनील कुमार गुप्ता, सीएमएस

मेडिकल के लिए ऐसे मरीज रेफर कर दिए जाते हैं, जिनका इलाज सीएचसी व पीएचसी में भी किया जा सकता है। इस प्रैक्टिस से इमरजेंसी पर अनावश्यक बर्डन बढ़ता जा रहा है। जरूरतमंद लोगों को सुविधाएं मिलने में परेशानी आ रही है।

-डॉ। अजीत, ईएमओ मेडिकल कॉलेज