- वाहन ओनर्स को दो से तीन माह तक की देरी से मिल रहे वाहन का रजिस्ट्रेशन

- रजिस्ट्रेशन पेपर्स नहीं होने से पुलिस और आरटीओ विभाग कर रहा कार्रवाई

250 वाहनों के डेली होते रजिस्ट्रेशन

2 माह से देरी से मिल रहे पेपर्स

400 वाहन करीब डेली होते हैं सेल

बरेली:

ऑटो मोबाइल एजेंसी और आरटीओ के स्टाफ की लापरवाही का व्हीकल ओनर्स को भारी पड़ रही है। नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबर और पेपर्स लेने के लिए लोगों को आरटीओ ऑफिस और एजेंसी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, इसके बावजूद दो-दो महीने बीतने के बाद भी उन्हें पेपर्स नहीं मिल पा रहे हैं। एजेंसी ओनर इसके लिए आरटीओ को तो आरटीओ एजेंसी ओनर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

जल्दी नहीं भेजते हैं डिटेल

शोरूम ओनर्स को वाहन बेचते समय वाहन और कस्टमर की पूरी डिटेल आरटीओ के सॉफ्टवेयर पर ऑनलाइन तुरंत फिल करनी होती है, लेकिन शोरूम ओनर्स वाहन तो कस्टमर को तुरंत बेच देते हैं लेकिन ऑनलाइन डिटेल नहीं भेजते हैं।

10-15 दिन में बनते हैं पेपर्स

शोरूम से डिटेल पहुंचने के बाद जब आरटीओ ऑफिस का स्टाफ भी पेपर्स तैयार करने में लापरवाही करता है। इसके चलते रजिस्ट्रेशन नंबर अलॉट करने और पेपर्स तैयार करने में ही 10-15 दिन लग जाते हैं।

फिर डिस्पैच में देरी

आरटीओ ऑफिस में पेपर्स तैयार होने के बाद डिस्पैच करने में भी दो से तीन दिन का समय लग जाता है और डिस्पैच होने के बाद पेपर्स दो से तीन दिन में एजेंसी पहुंचते हैं। तब कहीं जाकर व्हीकल ओनर को एजेंसी से पेपर्स मिल पाते हैं।

पुलिस काट रही चालान

पेपर्स न मिलने के कारण नए वाहन लेकर निकले लोगों को पुलिस की चेकिंग में भी फंसना पड़ रहा है। वाहन के पेपर्स न होने के चलते पुलिस चालान कर रही है। पुलिस की चेकिंग से बचने के लिए लोगों को डर डर कर वाहन चलाना पड़ रहा है।

स्कूटर खरीदे दो माह बीत गए हैं लेकिन अभी तक स्कूटर के नम्बर नहीं मिले हैं। इससे कहीं स्कूटर ले जाते समय चेकिंग का डर लगता है। ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की तरफ से जून माह में जो अभियान चलाया गया था उसमें तो स्कूटर लेकर चलना भी मुश्किल हो गया।

अरविन्द कुमार

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डेढ माह पहले स्कूटर खरीदा था लेकिन अभी तक रजिस्ट्रेशन नम्बर नहीं मिला। सड़क सुरक्षा सप्ताह के तहत चेकिंग अभियान के दौरान बगैर नम्बर के स्कूटर देख चालान भी भरना पड़ा। इसके बाद शोरूम पर गया लेकिन बताया कि अभी तक पेपर्स नहीं आए हैं।

मोहित

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अभी तक एजेंसी ओनर्स को सिर्फ वाहन बेचना होता था लेकिन अब शोरूम ओनर्स को ही इसकी भी डिटेल फिल करनी पड़ती है। इससे काम डिले हो रहा है। इसके बाद आरटीओ ऑफिस से भी देरी से पेपर्स आ रहे हैं।

सुमित अग्रवाल, शोरूम ओनर

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शोरूम ओनर को आरटीओ का काम भी दे दिया है। इससे एजेंसी के पास काम तो बढ़ा है। कई बार सर्वर आदि की प्रॉब्लम हो जाती है, जिससे डिटेल भेजने में देरी हो जाती है। इसके बाद परिवहन विभाग से भी पेपर्स आने में भी कई दिन लग जाते हैं।

नितिन जौहरी, शोरूम ओनर

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जो भी फाइल वाहन शोरूम से आती है उसे तुरंत ओके कर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी कर दी जाती है। आरटीओ ऑफिस की तरफ से कोई फाइल डिले नहीं हो रही है। शोरूम से कोई फाइल डिले आएगी तो देरी हो सकती है।

आरपी सिंह, एआरटीओ प्रशासन