- पुलिस ने सच्चाई को झुठलाया, जांच में मुर्गा बनाने का जिक्र नहीं

- प्रथम जांच पर तीनों पुलिसकर्मियों को एसएसपी ने बहाली दे दी

Meerut : पुलिसिया चेहरे पर कालिख पोतने वाली कंकरखेड़ा थाने की घटना को खाकी ने झुठला दिया। प्रथम जांच रिपोर्ट में महिला को मुर्गा बनाने का जिक्र नहीं किया गया। पुलिस का तर्क है कि कोई ऐसा सबूत नहीं उपलब्ध हो पाया, जिससे महिला को मुर्गा बनाना साबित हो सके।

यह था मामला

पांच जून को कंकरखेड़ा के जस्सू मोहल्ला निवासी ममता पत्‍‌नी किशोर एसबीआई में 22 रुपये जमा करने गई थी। रकम में सौ रुपये कम होने पर महिला के साथ कैशियर का विवाद हो रहा था। कैशियर के इशारे पर पुलिस ने महिला पर बर्बरता की सभी हदें पार कर डालीं। कांस्टेबिल मेनका ने महिला की पिटाई की तो उनकी नेम प्लेट टूट गई। फिर महिला को गाड़ी में डालकर थाने में लाया गया, जहां भरी दोपहरी में मुर्गा बना दिया। वारदात बड़ी होने के बाद कार्रवाई भी बड़ी हुई। एसएसपी ने एसएसआई पवन कुमार, महिला एसआई अमृता यादव व सिपाही मेनका को निलबिंत कर दिया। होमगार्ड मनोज पर बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई।

रिपोर्ट में जिक्र नहीं

मानवाधिकार आयोग के जवाब मांगने पर पुलिस तीनों आरोपियों को बचाने में जुट गई। एसपी सिटी की प्रथम जांच रिपोर्ट में तीनों पुलिसकर्मियों के मुर्गा बनाने की बात का जिक्र नहीं किया गया। तर्क दिया कि पुलिस को ऐसा कोई गवाह या सबूत नहीं मिला, जिससे साबित हो कि महिला को मुर्गा बनाया गया। माना जा रहा है कि निलंबित पुलिसकर्मियों ने पहले ही महिला को अपने विश्वास में ले लिया था। इसी को आधार बनाते हुए एसएसपी डीसी दुबे ने तीनों पुलिसकर्मियों को बहाल कर दिया। हालांकि पुलिस अफसर इस पूरे मामले की अभी विस्तृत जांच जारी होने की बात कह रहे हैं।