-जीएसटी आर टू ए में प्रदर्शित होने वाली आईटीसी पर ही कर सकेंगे 20 परसेंट एक्स्ट्रा क्लेम

- बड़े कारोबारी नहीं कर पाएंगे टैक्स चोरी, हुआ रूल्स में बदलाव

बरेली : अब जीएसटी के रूल्स में एक और बदलाव हुआ है। जिसने कारोबारियों की मुसीबत बढ़ा दी है। गवर्नमेंट की ओर से 9 अक्टूबर को नोटिफिकेशन जारी कर बदलाव किया गया है। जो 20 नंवबर से दाखिल होने वाले रिटर्न पर लागू होगा। इस बदलाव से जीएसटी की हेरा-फेरी बड़े कारोबारी नहीं कर पाएंगे। यदि वे इतने के बाद भी सामान बेचने के बाद जीएसटी की हेरा-फेरी करेंगे तो उनके छोटे कारोबारियों से रिश्ते खराब हो जाएंगे। क्योंकि यह टैक्स छोटे कारोबारी के जीएसटीआर टू ए में प्रदर्शित नहीं होगा। ऐसे में 161 (16) के तहत प्रदर्शित होने वाली आईटीसी (इनपुट) पर न प्रदर्शित होने वाली आईटीसी का अधिकतम 20 परसेंट ही क्लेम छोटे कारोबारी कर पाएंगे। यानि छोटे कारोबारियों को जेब से एक्ट्रा टैक्स देना पड़ जाएगा। ऐसे में वे इन बड़े कारोबारियों से सामान नहीं खरीदेंगे।

ऐसे समझे रूल्स

इस रूल्स से अब कारोबारी जीएसटी आर टू में दिखाई पड़ने वाले उस माह की संपूर्ण आईटीसी या इनपुट टैक्स क्रेडिट के 20 फीसद से ज्यादा का लाभ नहीं ले पाएंगे। मसलन एक कारोबारी का इनपुट 100 रुपये बनती है, जिसमें मानिए 80 रुपये का आईटीसी मिल रहा है। इससे कारोबारी को इस 80 रुपये के ही आधार पर न प्रदर्शित होने वाली आईटीसी का 20 परसेंट यानि 16 रुपये एक्ट्रा क्लेम कर सकता। इस तरीके से व्यापारी को 96 रुपये ही मिले, जबकि उसे 4 रुपये अपनी जेब से टैक्स की रूप में देना पड़ेगा।

ऐसे दिखेगा अमाउंट

आईटीसी क्लेम करने को कारोबारी के जीएसटी आर टू में इनपुट टैक्स क्रेडिट की धनराशि दिखनी चाहिए। जीएसटीआर टू में आईटीसी की धनराशि तभी दिखेगी जब माल आपूर्ति करने वाला जीएसटीआर वन भर दें।

कितनी मिली मोहलत

छोटे कारोबारियों को जीएसटी आर वन भरने के लिए तीन माह की मोहलत दी गई है। जबकि बड़े व्यापारियों को प्रत्येक माह भरना है। छोटे व्यापारी ने जीएसटी आर वन नहीं भरा तो उससे माल खरीदने वाले जीएसटीआर टू ए में कारोबार का ब्योरा नहीं दिखेगा और वह इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं ले सकेगा।

पूंजी की लागत में बढ़ेगी

नये रूल्स में 20 परसेंट से ज्यादा का आईटीसी नहीं मिलने से बड़े कारोबारियों को संपूर्ण राशि कैश में जमा करना होगा। इससे पूंजी लागत बढ़ेगी और व्यापार पर संकट होगा।

इसलिए लागू किया रूल्स

साल 2018-19 में जीएसटी आर 9 (एनुअल रिटर्न) और 9 सी (ऑडिट रिपोर्ट) के दौरान यह बात सामने आई कि कारोबारियों ने सामान बेचने के बाद दूसरे कारोबारी से जीएसटी तो वसूल लिया, लेकिन उसे जमा नहीं किया। ऐसे में सामान खरीदकर्ता को जीएसटी भरनी पड़ती है, लेकिन किसी ने इसे नहीं भरा। ऐसे में सरकार ने यह रूल्स लागू कर दिया।

वर्जन

यह रूल्स गलत है, क्योंकि परचेजिंग टाइम जब हम जीएसटी अदा कर दिए हैं तो मिसमैच होने पर क्यों दोबारा जीएसटी लिया जाएगा। इसी तरह छोटे कारोबारियों की तरह बड़े कारोबारियों को भी जीएसटी आर वन भरने का टाइम तीन माह का देना चाहिए.-

राजेंद्र गुप्ता, प्रांतीय महामंत्री, उत्तर प्रदेश व्यापार मंडल

जीएसटी आर टू ए में जितने का बिल प्रदर्शित हो रहा होगा उतने आईटीसी का क्लेम किया जा सकता है, लेकिन जो प्रदर्शित नहीं हो रहा रहा उसके आईटीसी का अधिकतम 20 परसेंट ही क्लेम किया जा सकता है।

-सुधीर मेहरोत्रा, सीए

जीएसटी आर टू ए में प्रदर्शित आईटीसी के आधार पर ही कारोबारी 20 परसेंट का एक्ट्रा क्लेम कर सकते हैं। 20 नवंबर से दाखिल होने रिर्टन में यह रूल्स लागू होगी।

-केके राय, नोडल अधिकारी, जीएसटी