श्रद्धांजलि

काफी लोकप्रिय 'आज भी खरे हैं तालाब'

याद है अनुपम जी की सीख

- जानेमाने पर्यावरणविद अनुपम मिश्र के निधन से शहरवासी भी दुखी

- जल संरक्षण पर उनकी सीख को आज भी सहेज रहे शहरवासी

Meerut। जाने माने पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी यादें आज भी ताजा है। जल संरक्षण पर लिखी गई उनकी किताब 'आज भी खरे हैं तालाब' काफी चर्चित हुई है। अनुपम मिश्र ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने देश में पर्यावरण पर काम शुरू किया।

पानी बचाने का संदेश

ग्रीन केयर सोसाइटी के संचालक डा। विजय पंडित ने बताया कि मेरठ में अनुपम जी ने चार साल पहले डीएन डिग्री कॉलेज में एक कार्यक्रम में वाटर संरक्षण पर बहुत महत्वपूर्ण बातें कहीं थी।

2006 में आए थे मेरठ

जनहित फाउंडेशन की अनीता राणा ने बताया कि जब 2006 में उनकी संस्था का कार्यक्रम था तब अनुपम मिश्र से मुलाकात हुई थी। उस समय अनुपम ने उनके सदस्यों को आज भी खरे हैं तलाब किताब भेंट की थी।

आखिरी मुलाकात है याद

नीर फाउंडेशन के संचालक रमन त्यागी ने बताया कि 2003 की बात है, जब हाजीपुर गांव हापुड़ रोड के कार्यक्रम में अनुपम मिश्र से मुलाकात हुई थी। उनका विचार था कि प्राकृतिक क्षेत्र में सरकारों को अनुभवी लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

उनकी है कई किताबें

जागरुक नागरिक एसोसिएशन के संचालक गिरीश शुक्ला ने बताया कि कि अभी पिछले साल ही इस्माईल कॉलेज में अनुपम मिश्र से मुलाकात हुई थी। उस समय उन्होंने पानी व तालाबों को बचाने पर जोर दिया था।