हमारे आन का आप तो नहीं कर रहे अपमान?

देश की आन, बान और शान यानि हमारा तिरंगा झंडा। जिसके हवा में लहराते ही हर हिन्दुस्तानी का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। हर कोई इसे सलाम करता है मगर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अनजाने में तिरंगे की आन में अपमान कर बैठते हैं। छोटे साइज के प्लास्टिक के तिरंगे झंडे का इस्तेमाल एक तरह से तिरंगे का अपमान ही है जो नासमझ लोग नहीं जानते। प्लास्टिक के तिरंगे की ब्रिकी को रोकने को लेकर कई संस्थाओं ने कई साल तक अभियान भी चलाया मगर कोई बदलाव नहीं आया। इस बार भी गणतंत्र दिवस पर बाजार में फिर से प्लास्टिक के तिरंगे नजर आने लगे हैं।

सब करते हैं लापरवाही

नेशनल फ्लैग कोड हमें तिरंगे में प्लास्टिक मैटेरियल के इस्तेमाल की परमिशन नहीं देता। नियम तो सिर्फ खादी के कपड़े से बने तिरंगे को फहराने का है मगर कागज के झंडे भी कुछ जगह मान्य किये जाते हैं। प्लास्टिक के झंडों का सस्ता पडऩा और बच्चों द्वारा इनका बहुत ज्यादा इस्तेमाल करना ही तिरंगे के अपमान की वजह बनता है। छोटे बच्चे बिना तिरंगे के महत्व को पहचाने इसका खिलौने की तरह इस्तेेमाल करते हैं और फिर फेंक देते हैं। इसके बाद तिरंगा सड़क पर या पैरों तले अपमानित होता है। यदि प्लास्टिक के तिरंगे की बिक्री पर रोक लगे तो इस अपमान को काफी हद तक रोका जा सकता है। एडमिनिस्ट्रेशन ने भी इस पर रोक लगाने के लिए अबतक कोई पहल नहीं की है।

कुछ ने चलाई थी मुहिम

प्लास्टिक के तिरंगे के यूज को रोकने और इसकी ब्रिकी पर बैन लगाने के लिए पांच-छह साल पहले से ही आवाजें उठ रही हैं। कई सामाजिक संगठनों ने प्लास्टिक के झंडे को पर्यावरण के साथ देश के लिए भी नुकसानदायक बताते हुए इसे पर बैन की मांग की। कुछ हद तक लोग जागरूक हुए मगर अब तक रोक नहीं लग सकी है। बाजार फिर एक बार प्लास्टिक के तिरंगों से पटा हुआ है। जबकि दिल्ली की मौजूदा गवर्नमेंट आप ने भी लोगों से प्लास्टिक के तिरंगे का यूज न करने की अपील की है।

क्यों प्लास्टिक पर बैन की हो रही मांग

- प्लास्टिक के झंडे के मानक के अनुरुप नहीं होते हैं।

- प्लास्टिक होने के कारण ये बच्चों के लिए हार्मफुल होते हैं।

- अक्सर बच्चे इन्हें सड़क या कहीं भी फेंक देते हैं।

- पर्यावरण की दृष्टि से भी इसका इस्तेमाल नुकसानदायक है।

- गाय या अन्य जानवर इसे खा जाते हैं जिससे उन्हें भी खतरा होता है।

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प्लास्टिक के झंडे का यूज करना हमारे राष्ट्रध्वज की बेकद्री है। इतना कमर्शियल होना भी ठीक नहीं है, जिससे देश का ही अपमान होने लगे। ये पर्यावरण और देश दोनों के लिए गलत है। चूंकि प्लास्टिक रिसाइकिल नहीं होते इसलिए लोगों को प्लास्टिक के तिरंगे का यूज नहीं करना चाहिए।

प्रदीप मधोक  बाबा, चेयरमैन, डालिम्स ग्रुप

प्लास्टिक तो ऐसे ही हार्मफुल है वो चाहे किसी रुप में हो और अगर तिरंगा प्लास्टिक का हो तो ये और खराब है। सेलिब्रेट करने के बाद लोग इसे फेंक देते हैं जिससे देश का अपमान होता है। कुछ तो जला भी देते हैं जिससे हार्मफुल गैस रिलीज होती है जो इन्वॉयरमेंट के लिए खराब होती है।

सुबीना चोपड़ा, डायरेक्टर, दी आर्यन इंटरनेशनल स्कूल

प्लास्टिक का यूज ठीक नहीं है और अगर लोग प्लास्टिक के तिरंगे का यूज कर इसे फेंक दे रहे हैं तो इसका मतलब लोगों को अपने देश और तिरंगे की अहमियत नहीं मालूम है। इसलिए लोगों को जागरुक होने की जरुरत है।

सुबोध अग्रवाल, ओनर टॉप इन टाउन