भारत के संविधान में मूल कर्तव्य शुरू से नहीं थे। इसे संविधान के 42वें संशोधन के जरिए जोड़ा गया है। यह संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 की धारा 11 के तहत 3 जनवरी, 1977 से लागू है। उस समय 10 मूल कर्तव्य थे। 11वां मूल कर्तव्य संविधान के 86वें संशोधन के जरिए जोड़ा गया। यह संविधान संशोधन अधिनियम की धारा 4 के तहत अंतःस्थापित किया गया था।

मूल कर्तव्य इस प्रकार से हैं...

1- संविधान का पालन करें, और उसके आदर्शों, संस्‍थाओं, राष्ट्रध्‍वज और राष्ट्रगान का आदर करें।

2- स्‍वतंत्रता के लिये हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्‍च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उसका पालन करें।

3- भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें।

4- देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।

5- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्‍व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्‍याग करें जो स्त्रियों के सम्‍मान के विरूद्ध हैं।

6- हमारी सामासिक संस्‍कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्‍व समझें और उसका परिरक्षण करें।

7- प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्‍य जीव हैं, रक्षा करें और उसका संवर्द्धन करें तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखें।

8- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।

9- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।

10- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले।

11- यदि माता-पिता या संरक्षक हैं, 6 से 14 वर्ष तक की आयु वाले अपने यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्‍य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करें।

स्रोत : भारत का संविधान

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