i concern

- एसआईसी कई बार शासन को भेज चुके हैं प्रपोजल नहीं नहीं हुई नियुक्ति

- स्वास्थ्य मंत्री से लेकर कई अधिकारी कर चुके हैं दौरा लेकिन नहीं दूर हुई समस्या

GORAKHPUR: सीएम प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश में लगे हैं लेकिन उनकी ही सिटी में इसका बुरा हाल है। बीआरडी में मासूमों की मौत के बाद प्रतिनियुक्ति के जरिए फिलहाल डॉक्टर्स की कमी की समस्या दूर कर ली गई है लेकिन जिले के सबसे बड़े अस्पताल-जिला अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की कमी आज तक दूर नहीं हुई। हालत यह है कि जहां 54 डॉक्टर्स होने चाहिए, वहां सिर्फ 27 डॉक्टर्स से काम चल रहा है। एसआईसी ने दो बार डॉक्टर्स व स्टाफ के रिक्त पद भरने के लिए शासन को प्रपोजल बनाकर भेजा। मंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों ने अस्पताल का दौरा किया लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं हुई।

कई विभाग में है मुश्किल

जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स को दोगुना काम का बोझ है। मनोरोग विशेषज्ञ, नेफ्रोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजिशियन तमाम डॉक्टर्स की कमी है। इससे मरीजों को भी मुश्किल हो रही है। जो समर्थवान हैं वे निजी अस्पताल में इलाज के लिए जा रहे हैं, लेकिन जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं, उनके लिए जिला अस्पताल ही सबसे बड़ा अस्पताल है, बावजूद इसके कि यहां इलाज में दिक्कत हो रही है।

इनकी कभी तैनाती ही नहीं हुई

जिला अस्पताल में न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजिशियन, यूरोलॉजिस्ट, प्लास्टिक सर्जन और मनोरोग विशेषज्ञों के पद भी स्वीकृत हैं लेकिन इन पदों पर कभी तैनाती ही नहीं हुई है। इन विशेषज्ञों की तैनाती के लिए जिला अस्पताल प्रशासन ने प्रस्ताव भी भेजा लेकिन नियुक्ति फिर भी नहीं हुई।

पद नाम स्वीकृत पद कार्यरत पद रिक्त पद

एनेस्थेटिस्ट 3 00 3

कार्डियोलॉजिस्ट 2 2 00

ईएनटी सर्जन 2 00 2

नेत्र सर्जन 3 3 00

नेफ्रोलॉजिस्ट 1 00 01

न्यूरो सर्जन 1 00 01

न्यूरो फिजिशियन 1 00 01

बाल रोग विशेषज्ञ 3 4 00

पैथोलॉजिस्ट 3 4 00

फिजिशियन 3 1 02

प्लास्टिक सर्जन 2 00 02

मनोरोग विशेषज्ञ 1 00 01

चेस्ट फिजिशियन 2 01 01

रेडियोलॉजिस्ट 3 01 02

ऑर्थो सर्जन 3 03 00

चर्म रोग विशेषज्ञ 1 01 00

यूरोलॉजिस्ट 1 00 01

सर्जन 5 01 04

ईएमओ 7 02 05

चिकित्साधिकारी 3 02 01

चिकित्सा अधीक्षक 1 01 00

प्रमुख अधीक्षक 1 01 00

कुल 52 27 27

वर्जन

अस्पताल पर मरीजों का काफी वर्कलोड है। इसके सापेक्ष डॉक्टर्स व स्टाफ की कमी है। मरीजों की परेशानी देखते हुए शासन को प्रपोजल भेज दिया है।

डॉ। राज कुमार गुप्ता,

एसआईसी, जिला अस्पताल