1-डॉ। मायुख चटर्जी, प्रमुख, मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन विंग

2-प्रेमचंद पाण्डेय, प्रोजेक्ट हेड

3-फ्रांसिस इस्माइल, बायोलॉजिस्ट

4-डॉ। रितिका माहेश्वरी, वेटेरिनेरियन

5- डॉ। दक्ष गंगवार, वेटेरिनेरियन

6-कर्म सिंह, असिस्टेंट

7-पालू, असिस्टेंट

तीन बिंदुओं पर काम करती है टीम

1- बायोलॉजिकल

बायोलॉजिस्ट जानवर की पहचान कर उसके बारे छोटी-छोटी जानकारी जुटाते हैं। उसकी प्रोफाइलिंग करते हैं।

2-सोशल

मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन विंग के प्रमुख और प्रोजेक्ट हेड इसके तुरंत बाद आसपास की मानव बस्तियों में जागरुकता अभियान छेड़ देते हैं। मकसद होता है लोगों के भ्रम दूर कर पशु और मानवों की संघर्ष स्थिति को समाप्त करना। चूंकि यह बाघ इंसानी आबादी से दूर था और कभी कोई ऐसी घटना भी नहीं हुई, इसलिए ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया गया।

3- वेटेरिनेरियन

पकड़ने के लिए पशु को नशे की डोज, उसका चेकअप और उसका इलाज करते हैं। पशु की डाइट के हिसाब से बेट 'शिकार' का आकार-प्रकार तय करते हैं।

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ऐसे काम किया टीम ने

बायोलॉजिस्ट ने की पहचान

डब्ल्यूटीआई के बायोलॉजिस्ट फ्रांसिस इस्माइल और प्रोजेक्ट हेड प्रेम चंद पाण्डेय ने पग मा‌र्क्स, वीडियो फुटेज, शिकार करने के तरीके आदि से पहचान स्थापित की रबड़ फैक्ट्री में बाघ है। उसकी उम्र करीब 2.5 से 3.0 वर्ष है। उसकी प्रकृति क्या है? इसके बाद तीन दिन की ट्रैकिंग के बाद।

- दो दिन पहले बाघ के बेडरूम को पहचाना, जहां वह शिकार खाने के बाद आराम करता था।

- उसके ड्रॉइंग रूम की पहचान की गई, जहां फतेह शिकार खाने के बाद कुछ देर टहलता था।

- पानी के उन 10 स्रोतों की पहचान की गई जहां से फतेह प्यास बुझाता था।

केटामाइन और जाइलाजीन की डबल डोज

बाघ फतेह के बेडरूम में आने से पहले ही वेटेरिनेरियन डॉ। रीतिका माहेश्वरी और डॉ। दक्ष गंगवार ने उसकी अनुमानित उम्र और वजन के अनुसार बेहोश करने की दवा केटामाइन और जाइलाजीन की डोज तैयार की। मौके पर मौजूद 2 ट्रैंक्यूलाइजर गन के लिए 4 शाट्स तैयार किए। बाघ अनुमान से ज्यादा ताकतवर निकला और एक डोज से पूरी तरह बेहोश नहीं हुआ तो उसे दूसरा शॉट दिया गया। पकड़ने जाने के बाद ही दोनों वेटेरिनेरियन्स ने फतेह का पूरा चेकअप किया।