इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज की ओर से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेस का किया गया आयोजन

कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के एक्सपर्ट ने प्रस्तुत किए अपने रिसर्च पेपर

Meerut . सीसीएस यूनिवर्सिटी के नेताजी सुभाष चंद्र बोस पे्रक्षागृह में इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ फिजिकल साइंसेज की ओर से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेस का आयोजन किया गया. इसमें पांच विभाग मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, स्टेट और माइक्रोबायोलॉजी का विशेष सहयोग रहा. इस मौके पर देश विदेश के साइंस और मैथ्स के एक्सपर्ट रिसर्च पेपर लेकर पहुंचे. कॉन्फ्रेंस के दौरान एक्सपर्ट ने कई महत्वपूर्ण रिसर्च प्रस्तुत की.

अब सीमा पर लड़ेगी रोबोट आर्मी

डॉ. राममनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी फैजाबाद अयोध्या के मैथ्स एंड स्टेट विभाग के प्रो. संत शरण मिश्र ने बताया कि आंकड़ों के वास्तविक परिस्थितियों को सिस्टम के जरिए कैसे पता लगाया जाता है. उन्होनें बताया क्लासिकल सिस्टम में गिनती करते थे, लेकिन अब फजी सिस्टम में करने लगे है. फजी सिस्टम वास्तविक परिस्थितियों के पास रहता है. उन्होनें बताया कि इस फजी सिस्टम से आजकल आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस में विशेष योगदान प्रदान किया जा रहा है. आगे चलकर इसका प्रयोग आर्मी रोबोट के लिए होगा. जब रोबोट लड़ेंगे तो आर्मी में कम जवान शहीद होंगे और लड़ने की पावर बढ़ेगी. इस सिस्टम की खोज 1965 में जादेहा ने की थी.

मशीन से पहचानेंगे अलजाइमर

इंटेलीजेंस रिसर्च सेंटर अल्सटर यूनिवर्सिटी यूके से आए डॉ. प्रमोद गौड़ ने बताया कि उनका वर्क अर्ली स्टेज अलजाइमर की बीमारी पर है. उन्होनें यूके में मैगनेटोएंसी फलोग्राफी मशीन एमईजी के जरिए आठ लोगों का ब्रेन चेक कर उनका ब्रेन इम्प्रूवमेंट ट्रीटमेंट किया है. उन्होनें बताया कि ये मशीन इंडिया में केवल दो ही जगह पर आई है गुड़गांव व बैंगलुरु में है. इस मशीन के जरिए मरीज को विभिन्न गेम्स जैसे पिक्चर पहचानना, नामों की लिस्ट सुनना, सिम्बल दिखाकर उनको पहचान करवाना, आइज क्लोज ओपन रेस्टिंग सेशन, वर्वल रिक्नाजेशन, डिले रिकॉल आदि विभिन्न तरह के गेम्स कराए जाते है. मशीन ये बताती है कि इंसान के वास्तविक में ब्रेन के किस पार्ट में या फिर किस जगह पर क्या दिक्कत आई.

ड्रग डिलीवरी में नहीं होगी दिक्कत

बायोकेमिस्ट्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. विजय गुप्ता ने बताया कि उन्होनें बॉडी कम्पोनेंट यानि एक्सोसोम का यूज करके के ये रिजल्ट पाया है कि इससे ड्रग डिलीवरी के समय बीमारी होने पर भी उसका गलत असर नहीं पड़ता है. उन्होनें बताया कि डिलीवरी के समय में जब किसी को कोई बीमारी होती है तो ड्रग डिलीवर करने के लिए एक्सोसोम का यूज कर सकते है. इससे एक्सोसोम सहित माइक्रोवेस्क्यूल बायोएक्टिव वेसिकल्स के नए परिवार के सदस्य हैं जो अंतरकोशिकीय संचार को बढ़ावा देने के लिए कार्य करते हैं.

हाइड्रोजन जलने से बनता है पानी

आईआईटी बीएचयू के एक्स डायरेक्टर प्रो. एसएन पांडे ने बताया कि उन्होनें पानी से हाइड्रोजन निकलने को लेकर रिसर्च की है, उन्होनें बताया कि हाईड्रोजन के जलने से पॉल्युशन नहीं मिलता है. सिर्फ पानी बनता है. उन्होनें बताया कि पानी बायो मास है इसके अलावा रिसर्च में सामने आया है कि सभी पेड़ पौधों, पेट्रोल, में हाइड्रोजन होता है. उन्होनें बताया कि उनके रिसर्च में आया है कि सूरज में जो रोशनी और हीट है वो सब हाइड्रोजन के ही कारण है. धरती पर हाइड्रोजन पानी, पेट्रोल व पेड़ पौधों के रूप में है जिसे निकालना काफी मुश्किल है. इसको लेकर अभी उनकी रिसर्च जारी है.