RANCHI: रांची यूनिवर्सिटी की अजब-गजब गड़बडि़यों की फेहरिस्त में एक और प्रकरण जुड़ गया है। यूनिवर्सिटी ने रिसर्च स्कॉलर को देने के लिए मिले फंड के करोड़ों रुपए ठेकेदार के पेमेंट पर फूंक दिए। इधर, रिसर्च स्कॉलर फेलोशिप की राशि के लिए सालों से यूनिवर्सिटी का मुंह ताक रहे हैं। यह खुलासा यूनिवर्सिटी की ही ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है।

125 पेज की रिपोर्ट में कई गड़बडि़यां

रांची यूनिवर्सिटी की 125 पेज की ऑडिट रिपोर्ट में कई वित्तीय गड़बडि़यां सामने आई हैं। फाइनेंशियल रिपोर्ट 2011-12 और 2012-13 की ऑडिट के बाद जो रिपोर्ट सौंपी गई है, उसमें ये बात सामने आई है कि यूजीसी की ओर से भेजे गए रिसर्च स्कॉलर के पैसे से यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ठेकेदार को पेमेंट कर दिया है।

टाइम से नहीं मिलती फेलोशिप राशि

एक ओर जहां फेलोशिप के पैसे से ठेकेदार को पेमेंट किया जा रहा है। वहीं, रिसर्च स्कॉलरों की दशा दयनीय बनी हुई है। इससे पहले के वीसी डॉ। एलएन भगत के समय कई बार रिसर्च स्कॉलरों ने टाइम पर फेलोशिप देने की गुहार लगाई थी। लेकिन, सिर्फ आश्वासन मिला, पैसा नहीं। वर्तमान वीसी डॉ। रमेश पांडे से भी मार्च में एक बार मिल चुके हैं और अपनी समस्या से उन्हें अवगत करा चुके हैं।

आरयू में हैं 200 रिसर्च स्कॉलर

रांची यूनिवर्सिटी के टोटल 22 पीजी डिपार्टमेंट्स में लगभग 200 रिसर्च स्कॉलर हैं। इसमें जेआरएफ, आरजीएनएफ और मौलाना आजाद फेलोशिप शामिल हैं। इनका काम पीजी डिपार्टमेंट में रहकर रिसर्च करना और क्लास लेना हैं। लेकिन पीजी डिपार्टमेंट्स में इन्हीं के भरोसे क्लास चल रही है। वहीं, दूसरी ओर समय से इन्हें भुगतान भी नहीं किया जा रहा है।

20 हजार रुपए है मंथली पेमेंट

यूजीसी के अनुसार, आरयू के रिसर्च स्कॉलर को हर महीने 16 हजार रुपए के अलावा डीए मिलाकर टोटल 20 हजार रुपए मिलते हैं। इसका भुगतान छह महीने में एक बार किया जाता है। लेकिन, आरयू के कई ऐसे रिसर्च स्कॉलर हैं, जिन्हें साल भर से पेमेंट नहीं किया गया है। उनसे बेवजह यूनिवर्सिटी का चक्कर लगवाया जा रहा है।

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किताब के पैसे से खरीदा फर्नीचर

रांची यूनिवर्सिटी की गड़बड़ी यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि यूजीसी द्वारा जो राशि किताब खरीदने के लिए दी गई थी, उससे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फर्नीचर खरीद लिया है। रिपोर्ट आने के बाद आरयू के वीसी डॉ। रमेश पांडे ने यूनिवर्सिटी अधिकारियों के साथ मीटिंग की और एजी जताई गई आपत्तियों की स्टडी के लिए रिपोर्ट इंटरनल ऑडिट को भेज दिया है, ताकि समय रहते इसका जवाब दिया जा सके।