RANCHI अंधेरा होते ही लाइट जल जाए तो कितना अच्छा हो। हार्ट अटैक आने से पहले इसकी सूचना मिल जाये तो कितना बेहतर हो। रास्ते से एंबुलेंस गुजर रही हो और ट्रैफिक अपने-आप क्लीयर होता जाये तो कितना मजा आयेगा। काल्पनिक दुनिया में भले ही यह काम अलादीन का चिराग करता हो, पर वास्तविक दुनिया में यह कमाल इंटरनेट और सेंसर पर आधारित तकनीक इंटरनेट ऑफ थिंग्स कर रही है। इस तकनीक पर बीआइटी मेसरा में रिसर्च हो रहा है। इसके लिए इसी वर्ष मार्च में यहां सात लाख रुपये की लागत से सीडेक ने आइओटी लैब स्थापित की है। इस रिसर्च प्रोजेक्ट का नेतृत्व बीआइटी में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ एस पटनायक कर रहे हैं।

स्टूडेंट बना रहे प्रोजेक्ट

डॉ पटनायक ने बताया कि सी डैक की ओर से स्थापित की गयी लैब में बीआइटी के स्टूडेंट प्रोजेक्ट बना रहे हैं। इस तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल स्मार्ट सिटी में होगा, क्योंकि यहां इंटरनेट और सेंसर के जरिये ही वस्तुएं स्मार्ट होंगी। इसका जीवन के हर क्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है और इसपर बीआइटी मेसरा में भी काम हो रहा है।

स्मार्ट सिटी में कारगर

डॉ पटनायक ने बताया कि आइओटी एक क्रांतिकारी तकनीक है और इसका इस्तेमाल राजधानी में बन रही स्मार्ट सिटी में किया जायेगा। इस तकनीक में हर वस्तु इंटरनेट के जरिये कनेक्ट की जाती है। इसका उपयोग करके ऑफिस में बैठे रहकर यह पता किया जा सकता है कि आपके घर के बाहर कौन घूम रहा है। इसके लिए घर के बाहर प्रोक्सिमिटी सेंसर लगा दीजिए और उसे एप के सहारे मोबाइल से जोड़ दीजिए। इसके बाद जैसे ही कोई आपके घर के पास घूमेगा सेंसर उसे नोट करके आपके मोबाइल में भेज देगा।

कई फील्ड में काफी उपयोगी आइओटी तकनीक का इस्तेमाल कर स्मार्ट सिटी में जैसे ही अंधेरा होगा लाइट अपने-आप जल जायेंगी। इसके लिए स्ट्रीट लाइट में सेंसर लगे होंगे। अंधेरा होते ही इसे सेंसर रिकार्ड कर लेंगे और लाइट जल जायेगी। इसी तरह किसी को ब्लडप्रेशर की बीमारी है तो उसकी हथेली में सेंसर लगा दिया जायेगा तो यह उसकी बॉडी के तापमान को नोट कर सारा डाटा सीधे डॉक्टर को भेज देगा। इससे डॉक्टर उसकी बॉडी में होनेवाले असमान्य बदलाव को पकड़ लेगा और उसे समय पर ट्रीटमेंट मिल सकेगा। सेंसर जो डाटा कलेक्ट करेगा उसे क्लाउड स्टोरेज में रखा जायेगा।

यह है आइओटी

आइओटी यानि इंटरनेट ऑफ थिंग्स भौतिक उपकरणों, वाहनों, भवनों और अन्य सामग्री का नेटवर्क है। 2013 में इसे सूचना सोसायटी के बुनियादी ढांचे के रुप में परिभाषित किया गया। आइओटी वस्तुओं को महसूस करने और मौजूदा नेटवर्क को बुनियादी ढांचे के पार दूर से नियंत्रित करने की अनुमति देता है। आइओटी सेंसर और प्रवर्तक के साथ संव‌िर्द्धत है।

फैक्ट फाइल

- इंटरनेट ऑफ थिंग्स टर्म को नाम देने का श्रेय प्रोक्टर एंड गैंबल के केविन ऑस्टिन को जाता है।

-गार्टनर इंक के अनुसार , 2020 तक इंटरनेट ऑफ थिंग्स 20.8 अरब उपकरणों से जुड़ जायेगा

- इस तकनीक में डिवाइस विभिन्न तकनीकों का उपयोग कर डाटा कलेक्ट करती है, फिर ऑटोमेटिकली दूसरे डिवाइस में भेज देती है।

- इसका इस्तेमाल हार्ट ट्रांसप्लांट, खेत और जानवरों पर बायोचिप ट्रांसपोंडर के इस्तेमाल में भी हो सकता है।