- पिछले एक महीने से ले रहा था एंटी डिप्रेशन दवाएं

सुबह करीब पांच बजे उसने बुद्धा हॉस्टल में अपने कमरे में हाथ की नस काट ली।

LUCKNOW :

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में डॉक्टर्स से जबरन 24 घंटे से अधिक काम लेना एक रेजीडेंट पर भारी पड़ गया। लगातार काम के बोझ से दबे और सीनियर्स द्वारा प्रताडि़त करने के चलते मंडे को एक रेजीडेंट अपने हाथ की नस काटकर सुसाइड का प्रयास किया। गनीमत थी कि उसके भाई समय पर पहुंच गए जिससे उसकी जान बच सकी।

लेनी पड़ रही थी दवाएं

डॉ। विवेक कुमार पिछले वर्ष ऑर्थोपेडिक सर्जरी में जेआर 1 के रूप में काम कर रहे हैं। उनके पिता डॉ। केडी प्रसाद खुद डॉक्टर हैं और एक जिले में डिप्टी सीएमओ के पद पर कार्यरत हैं। रेजीडेंट डॉक्टर्स के अनुसार डॉ। विवेक केजीएमयू में ज्वाइन करने के बाद से ही काम के काफी दबाव में थे। लगातार 24 से 30 घंटे काम कराए जाने के कारण वह डिप्रेशन के शिकार हो गए। तीन माह पहले सीनियर्स से उनका झगड़ा भी हुआ था। आरोप है कि उनके साथ मारपीट की गई। जिसके कारण पिछले एक माह से वह एंटी डिप्रेशन दवाएं ले रहे थे।

सुबह पांच बजे काटी नस

कुछ दिन पहले वह दोबारा लौटे तो फिर से सीनियर्स ने काम को लेकर परेशान किया। जिसके बाद डॉ। विवेक ने सोमवार को सुबह करीब 5 बुद्धा हॉस्टल के 205 नंबर कमरे में बाएं हाथ की नसे काटने की कोशिश। इससे पहले उसने कुछ दवाएं भी खाई थी। जिसके रैपर कमरे में पड़े मिले। शायद इसी कारण उनकी खून की मेन नस कटने से बच गई। केवल टेंडन ही कटे थे।

दरवाजा खोलते ही उड़ गए होश

डॉक्टर्स के अनुसार विवेक सुबह से अपने घरवालों का फोन नहीं उठा रहा था। जिस पर उसकी मां ने विवेक के भाई और उसके दोस्त विनय को देखने भेजा। करीब 12 बजे वह पहुंचे तो दरवाजा बाहर से खुला पड़ा। अंदर गए तो सीन देखकर उनके होश उड़ गए। खून से लथपथ विवेक पड़ा हुआ था। सारा सामान अस्त व्यस्त था। जिसपर उन्होंने तुरंत हॉस्टल वार्डन और अन्य साथियों को सूचना दी और उसे ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया।

चीफ प्रॉक्टर ने लिया हालचाल

मामले की जानकारी मिलने पर चीफ प्रॉक्टर प्रो। आरएएस कुशवाहा ने ट्रॉमा कैजुअल्टी पहुंच कर डॉ। विवेक से मुलाकात की। उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाने के बारे में पूछा तो डॉ। विवेक ने कहा कि इसके लिए वह खुद जिम्मेदार हैं। प्रो। आरएस कुशवाहा ने खुद खड़े होकर मरीज के टांके लगवाए। उन्होंने काफी देर तक पूछताछ भी की।

12 घंटे ड्यूटी कराने के थे आदेश

इससे पहले 2014 में केजीएमयू के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में एक रेजीडेंट डॉक्टर के साथ काम को लेकर सीनियर्स ने कई बार मारपीट की थी। यही नहीं उसे जाति सूचक गालियां भी दी जाती थी। जिससे वह डिप्रेशन में आ गया था और उसे साइकियाट्री डिपार्टमेंट में भर्ती कराना पड़ा था। मामले की उसने लिखित शिकायत दर्ज कराई थी और एफआईआर भी की थी। लेकिन आज तक मामले में किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई नहीं की गई।

तत्कालीन वीसी प्रो। रविकांत ने आदेश जारी कर एक बार में 12 घंटे ही ड्यूटी कराने के आदेश दिए थे। नियम लागू हुआ लेकिन कुछ माह बाद ही फिर से हालात पुराने जैसे हो गए। सबसे अधिक दबाव जेआर 1 पर है। रेजीडेंट डॉक्टर्स की माने तो एक बार में 24 से 36 घंटे की ड्यूटी कराई जा रही है।

मामले की सूचना परिजनों को दी दी गई है। प्लास्टिक सर्जरी, मेडिसिन और साइकियाट्री की टीम उनका इलाज कर ही है और वह खतरे से बाहर हैं। उनके बेहतर इलाज के लिए निर्देश दे दिए हैं।

- प्रो। आरएएस कुशवाहा, चीफ प्रॉक्टर