-जांच को बनाई गई थी सात लोगों की कमेटी, आरोपियों के नाम न बताने पर रोका था रिजल्ट
-कन्वोकेशन में हंगामा न करें स्टूडेंट्स, तो रिजल्ट कर दिया डिक्लेयर
बरेली : आरयू प्रशासन की मेहरबानी से डिग्री दिलाने के ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। कन्वोकेशन के टाइम पर स्टूडेंट्स कोई बवाल करें, इससे बचने के लिए आरयू ने मंडे को बीपीएड का रिजल्ट जारी कर दिया। यूएफएम लगे 35 स्टूडेंट्स को आरयू ने नकल के आरोप से बरी कर दिया है। आरयू ने सभी स्टूडेंट्स पर पांच-पांच सौ रुपये का फाइन भी लगाया था।
यह है पूरा मामला
बीपीएड के एग्जाम के दौरान टीचर्स ने 21 स्टूडेंट्स की कॉपी यूएफएम में बुक की थीं, जबकि 14 के खिलाफ एग्जामिनर ने कार्रवाई की संस्तुति की थी। इन्होंने अपनी कॉपी के अंदर के पन्नों पर रोल नंबर, कॉलेज का और अपना नाम लिखा था। इस पर आरयू ने इनका मामला यूएफएम कमेटी में भेज दिया। नौ अगस्त को बीपीएड का रिजल्ट जारी हुआ हुआ तो स्टूडेंट्स ने उनका रिजल्ट रोकने पर धरना प्रदर्शन कर हंगामा किया था।
प्रशासन के दबाव में जांच खत्म
बीपीएड विवाद को निबटाने के लिए यूएफएम कमेटी में सात सदस्य थे। इसमें चार सदस्यीय ही उपस्थित हुए। दो सदस्य बीपीएड कॉलेजों के विशेषज्ञ थे। सूत्रों के मुताबिक कमेटी के सदस्यों पर प्रशासन का ही दबाव था कि इस मामले को किसी तरह खत्म करें। कोई जतन कर इनका रिजल्ट जारी कर दिया जाए। ऐसा होने पर मामला खुद ही खत्म हो जाएगा।
कई बड़े लोग गिरोह में शामिल
आंदोलित विद्यार्थियों ने दावा किया था कि ठेके पर पास कराने का गिरोह सक्रिय है, इसमें कई बड़े लोग शामिल हैं। आरयू ने उनसे गिरोह के नाम मांगे थे तो स्टूडेंट्स ने अपनी जान का खतरा भी जताया था। सूत्रों के मुताबिक स्टूडेंट्स ने वीसी को कुछ नाम बताए भी हैं। कई कॉलेजों के बड़े लोगों के नाम सामने आने के बाद ही प्रशासन इस पूरे मामले को दबाने में लगा था।
निपटा दिया पूरा मामला
एक निजी कॉलेज के प्रिंसिपल, टीचर और आरयू के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत के आरोप लगे हैं। आरयू प्रशासन ने पहले तो सुबूत मिलने पर कठोर कार्रवाई का दावा किया। बाद में जैसे-जैसे मामला ठंडा पड़ता गया। अधिकारी इसे विवाद को जड़ से मिटाने में जुट गए। कौन गिरोह परीक्षा की धज्जियां उड़ा रहा है? परीक्षा में पास कराने के लिए 25-25 हजार रुपये ले रहा है? इसके विरुद्ध न कोई जांच कराई और न ही कार्रवाई की जरूरत समझी गई। प्रोफेसरों के मुताबिक विवि प्रशासन ने जिस तरह से घटनाक्रम को निबटाया है। उसकी भूमिका भी संदिग्ध है।
एक छात्रनेता का बताया नाम
मंडे को परिणाम घोषित होने के बाद छात्राओं ने एक छात्रनेता का नाम प्रशासन को बताया है। कुछ और नाम भी बताए हैं। मगर प्रशासन उन पर कार्रवाई से कतरा रहा है।
पहले भी नहीं हुई कार्रवाई
बीपीएड से पहले एबीवीपी की शिकायत पर रुविवि के मूल्यांकन में सीधे नंबर बढ़ाने का खेल सामने आ चुका है। इसमें परीक्षकों को डिबार करने की संस्तुति भी हो चुकी है। मगर आरोपितों के विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई।
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वर्जन
हम छात्रों का अहित नहीं चाहते। रिजल्ट घोषित कर दिया, ठीक है। मगर पास कराने का ठेका कौन ले रहा है। उस गिरोह का पता लगाकर उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। यही हमारी मांग है।
-राहुल चौहान, संगठन मंत्री एबीवीपी