राज्यपाल ने किया सेवानिवृत्त वित्तविहीन शिक्षकों को सम्मानित

रिटायरमेंट के बाद भी शिक्षण कार्य से जुड़े रहने की शिक्षकों से की अपील

ALLAHABAD: शिक्षक विद्यालय से भले ही रिटायर्ड हो जाएं, उनका सामाजिक कार्य जीवन पर्यत चलता रहता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पेश किया। राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद भी वे शिक्षण कार्य से जुड़े रहे। उनकी मौत भी तब हुई जब वे स्टूडेंट्स को लेक्चर दे रहे थे। ये बातें गुरुवार को बीबीएस इंटर कालेज में आयोजित सम्मान समारोह में रिटायर्ड शिक्षकों को सम्मानित करने के बाद प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने कही।

शिक्षा के व्यापारीकरण से शिक्षकों का शोषण

राज्यपाल ने शिक्षा के व्यापारीकरण पर चिंता जताई। कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा देने की जिम्मेदारी केंद्र व राज्य सरकारों की है। यह दुर्भाग्य है कि दोनों अपना काम ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। देश में बढ़ती आबादी के अनुपात में बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शिक्षा के व्यापारीकरण का सबसे बड़ा कारण यही है। व्यापारीकरण के कारण ही शिक्षकों का शोषण भी हो रहा है।

हस्ताक्षर कराते हैं कुछ पर, वेतन देते हैं कुछ

राज्यपाल राम नाइक ने शिक्षा व्यवस्था में वित्त विहीन शिक्षकों की स्थिति को समझाते हुए कहा कि वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों से अधिक वेतन पर हस्ताक्षर कराया जाता है, लेकिन पैसा कम दिया जाता है। यह अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इसे ठीक करने के लिए सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए। राज्यपाल ने कुछ निजी शैक्षिक संस्थानों की ओर से शिक्षा के उत्थान में अच्छा किए जाने की चर्चा भी की।

सीएम को दी है सलाह

उन्होंने कहा कि टॉपरों की सूची में इस समय निजी विद्यालयों के बच्चों की संख्या अधिक रहती है। यह साबित करता है की यहां के शिक्षक व संस्थान अच्छे हैं। उन्होंने कार्यक्रम का आयोजन करने वाले रहे संगठन के कार्यो की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि वित्तविहीन शिक्षकों की कई समस्याओं को लेकर वे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात कर चुके हैं। उन्हें उचित कार्रवाई की सलाह भी दी है।

कार्यक्रम के संयोजक त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी ने वित्तविहीन शिक्षकों की समस्याओं पर प्रकाश डाला। स्वागत शिशुपाल शरद, परिचय डॉ। ऋषिराज सहाय व आभार बृजेंद्र बिहारी सहाय ने ज्ञापित किया। इस दौरान राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो। राजेंद्र प्रसाद, मधुसूदन दीक्षित, डॉ। नरेंद्र सिंह गौर, अजय सिंह, चिंतामणि सिंह आदि मौजूद रहे।