ऐसा कहा था शशि थरूर ने
गौरतलब है कि शशि थरूर ने अपना यह भाषण ऑक्सफोर्ड यूनियन में दिया था। उस पर कीथ वाज ने कहा था कि वह थरूर के विचारों की दिल से कद्र करते हैं। उनका कहना था कि वे उनके विचारों से सहमत भी हैं। उनका मानना था कि इन मुद्दों पर खुलकर बात होनी चाहिए। वो और बात है कि नगद हर्जाना देने की प्रक्रिया काफी कठिन और लंबी भी होगी। ऐसे में इस बात का फिलहाल कोई मतलब नहीं बनता। इसके बावजूद कोहिनूर हीरे जैसी बेशकीमती चीज को वापस करने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।  

कीथ वाज मानते हैं ऐसा
गौरतलब है कि कई साल पहले उन्होंने इससे जुड़े एक अभियान का भी सहयोग किया था। याद दिला दें कि नवंबर के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन की राजकीय यात्रा पर जाएंगे। इस बाबत कीथ वाज का ऐसा मानना है कि भारत के प्रधानमंत्री कोहिनूर को वापस लेने का वादा लेकर लौटेंगे तो ये काफी अच्छा साबित होगा। बताते चलें कि प्रधानमंत्री डेविड कैमरून भी द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए काफी कोशिशें की हैं।

ऐसा है कोहिनूर हीरे का इतिहास
वैसे काहिनूर के इतिहास की बात करें तो ये आंध्रप्रदेश के गुंटूर जिले की कोलूर खदान में पाया गया था। ये वो समय था जब ये दुनिया का सबसे बड़ा हीरा था। सबसे पहले यह हीरा ककातिया साम्राज्य के पास हुआ करता था। ककातिया साम्राज्य ने इसे एक मंदिर में देवी की आंख के स्थान पर स्थापित कर दिया था। उसके बाद यह कई हमलावर राजाओं के हाथों लगता रहा। आखिर में ब्रिटिश राज के दौरान अंग्रेजों ने इसे अपने कब्जे में ले लिया।

कराया गया सर्वेक्षण
आज के समय में ये हीरा महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राजमुकुट में ज़ड़ा हुआ है। भारत की ओर से कई बार इसे वापस मांगा गया, लेकिन पूर्ववर्ती ब्रिटिश सरकारों ने इसे वापस नहीं किया। इसके बाद वॉल स्ट्रीट जरनल के इंडिया रीयल टाइम की ओर से करीब 2000 लोगों के बीच एक सर्वेक्षण कराया गया। इस सर्वेक्षण में 85 फीसद लोगों ने इस बात को स्वीकार किया है कि ब्रिटेन को भारत पर राज करने की क्षतिपूर्ति देनी चाहिए। वहीं अन्य 15 प्रतिशत लोगों के  अनुसार, उनका मानना है कि अतीत को कुरेदने की कोई जरूरत नहीं है।

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