हम इन्हें नहीं पहचानते, इनके साथ नहीं जाएंगे, आखिर इतने दिन ये लोग कहां थे? हमारी याद कभी नहीं आई, आज क्यों आए हैं? चेहरे पर आक्रोश और आंखों में आंसू लिए हर जवाब पर सवाल उठा रही थी दोनों बहनें। सामने वाले भी कुछ नहीं बोल पा रहे थे। इनकी बेबसी ही आज उनकी ताकत बन चुकी है। ट्यूजडे को जगत नारायण रोड के शांति निकेतन स्कूल में हलचल थी। दरअसल पिछले सात साल से जिन दो बहनों रिमझिम और अंजलि की किसी ने खबर नहीं ली, अचानक से उसकी कथित फैमिली के लोग पहुंच गए। उसके पिता अशोक कुमार पाण्डेय, बड़ी मां अनिता देवी और चाचा चंदन कुमार पाण्डेय करीब 12 बजे स्कूल पहुंचे। स्कूल के पिं्रसिपल उस वक्त नहीं थे और इन लोगों ने उनके बेटे अभिषेक को अपना परिचय दिया तो वह भी चौंक पड़े। इनके पास दोनों बच्चियों की मां की तस्वीर थी। मां को तो रिमझिम और अंजलि ने पहचान लिया लेकिन पिता को नहीं।

शुरू हुआ प्यार जताने का सिलसिला

अशोक पाण्डेय फिलहाल कुछ नहीं करते। पिछले सात साल से उन्हें अपने मासूम बच्चों की याद नहीं आई। मुजफ्फरपुर कांटी थाना के कलवाड़ी गांव के रहने वाले अशोक इन बच्चियों के इस हाल में पहुंचाने की सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी नमिता पाण्डेय (जिसे पहले शिखा पाण्डेय बताया जा रहा था) पर डाल देते हैं। कहते है कि वह 2005 में ही घर से इन्हें लेकर निकल गई थी। इसके बाद उसकी कोई खबर नहीं मिली। अशोक पाण्डेय के साथ उनकी भाभी अनिता पाण्डेय आई है। अपने साथ वो तस्वीरें लाई हैं जिसमें वह, नमिता और एक और देवरानी सरोज दिख रही है। इस तस्वीर को देखकर अंजलि और रिमझिम ने अपनी मां को पहचान लिया। इसके बाद वे इन बच्चियों से अपनापन जताना शुरू करती हैं, लेकिन अफसोस जब मां ने छोड़ा तब रिमझिम छह साल की और अंजलि महज साढ़े चार साल की थी। ऐसे में अब उन्हें कुछ याद नहीं।

क्यूं चुप थे इतने दिन?

अशोक पाण्डेय को यह सवाल बार बार चुप कर दे रहा था कि इतने दिन वे कहां थे, अपने बच्चों की खबर क्यूं नहीं लिया। कभी बीमारी तो कभी पत्नी पर आरोप, यही कर रहे थे मगर सही जवाब दे नहीं पा रहे थे। पत्नी नमिता बच्चों को लेकर चली गई थी इसकी रिपोर्ट भी थाने में दर्ज नहीं करवाई। पूछ गया क्यों तो, जवाब मिला - 'एक तो प्रतिष्ठा चली गई थी और ढिंढोरा कितना पीटते? आसपास के सभी लोगों को पता था उसके बारे में। पुलिस ने भी गलत कामों में उसे पकड़ा, पता करवा लीजिए वहां थाने से.Ó तो अब क्यूं आए? फिर वहीं जवाब- 'डर है कि नमिता आकर इन बच्चों को ले गई तो बेच देगी, जो बच्चों के पैसे लेने के बाद भाग गई, गलत रास्ते पर चल पड़ी, उसका क्या भरोसा। अब बच्चियां बड़ी हो रही हैं। इन्हें कहीं भी ले जाकर बेच सकती है.Ó

हमारे बच्चों के साथ पल जाएगी

अंजलि और रिमझिम की कथित बड़ी मां अनिता पाण्डेय को अब अपनी फैमिली की इज्जत की याद आई है। बड़ी हो रही इन बच्चियों को घर ले जाने के लिए उसके पिता अशोक और देवर चंदन को लेकर आई है। अनिता कहती है कि अशोक के पास अब कुछ नहीं, जमीन थी उनके हिस्से की सब पत्नी के कारण बेच डाली। काम छूट गया। छोटा भाई चंदन ही इनका खर्च उठाता है। मगर फैमिली की इज्जत है इन बच्चियों को कबतक छोड़ेंगे। सब लोग मिलकर उन्हें भी रख लेंगे। हमारे बच्चों के साथ ये भी पल जाएगी। अभी भी इन्हें हम और देवर चंदन ही ले जाने की जिम्मेदारी ले रहे हैं। अभी तो हम यह बताने आए हैं कि ये बच्चे हमारे हैं।

डीएम ने भेजा महिला हेल्प लाइन

इस बात की जानकारी डीएम डॉ एन सरवण कुमार को मिली तो उन्होंने तत्काल महिला हेल्प लाइन की प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमिला कुमारी को भेजा। प्रमिला शांति निकेतन स्कूल पहुचीं और उसकी फैमिली के लोगों से बातकर अपने साथ ले गयी। प्रमिला ने बताया कि इनके दावे सही हैं या गलत यह तो जांच के बाद ही क्लीयर होगा। मगर अबतक ये लोग नहीं आए, कहां थे सारी जानकारी डीएम साहब के सामने बतानी होगी और उनका जो निर्णय होगा उसके अनुरूप ही आगे की कार्रवाई होगी। फिलहाल कस्टडी में देने की कोई बात ही नहीं है।