RANCHI : कैदियों को इलाज के लिए सात दिन से ज्यादा कॉटेज में नहीं रखने के हाईकोर्ट के सख्त निर्देश की भी परवाह रिम्स प्रशासन को नहीं है। रिम्स अभी भी कैदियों के आराम फरमाने की जगह बना हुआ है। यहां के दो कॉटेज में दो कैदी महीनों से इलाज के नाम पर डेरा जमाए हुए हैं। इनमें पूर्व मंत्री व विधायक भानू प्रताप शाही और जितेंद्र महतो हैं, जो पिछले चार महीनों से कॉटेज में रहकर इलाज करा रहे हैं। इन कैदियों को न तो वापस जेल भेजा जा रहा है और न ही कॉटेज से वार्ड अथवा बेहतर इलाज के लिए दूसरे हॉस्पिटल में रेफर किया जा रहा है। वे रिम्स के कॉटेज में इलाज के नाम पर महीनों से आराम फरमा रहे हैं।

मुलाकातियों का तांता

रिम्स के कॉटेज में रहकर इलाज करा रहे कैदी भानू प्रताप शाही (एमएलए) और जितेंद्र महतो के कमरे में हर दिन मुलाकातियों की भीड़ लगी रहती है। वैसे तो सुरक्षा के ख्याल से यहां जवानों की 24 घंटे ड्यूटी है, लेकिन इनसे मुलाकात करने के लिए आनेवाले लोगों को वे रोकते नहीं है। भानू और जितेंद्र अपने कमरे में लोगों से घंटों बातचीत करते हैं। इनके बीच क्या बातचीत होती है, इसपर भी किसी की नजर नहीं होती है। ऐसे मामलों को लेकर ही हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए वीआईपी को कॉटेज अलॉट नहीं करने के निर्देश दिए थे, पर रिम्स प्रबंधन को इसकी परवाह नहीं है।

9 मई एडमिट हैं एमएलए भानू प्रताप शाही

पूर्व मंत्री और एमएलए भानू प्रताप शाही को बैकपेन की शिकायत के बाद बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल होटवार से रिम्स में इलाज के लिए इस साल नौ मई को एडमिट किया गया। इसी समय से वे कॉटेज के 12 नंबर रुम में रहकर इलाज करा रहे हैं। डॉ सीबी शर्मा की देखरेख में उनका इलाज चल रहा है। इन चार महीनों के दौरान हुए इलाज से उनकी तकलीफ दूर हुई या नहीं, यह तो डॉक्टर ही बता सकते हैं, लेकिन चार महीनों से कॉटेज नंबर 12 में वे डेरा जमाए हुए हैं। यहां हर दिन दर्जनों लोग उनसे मुलाकात करने के लिए आते हैं, पर रिम्स प्रबंधन का इस ओर ध्यान नहीं है।

जितेंद्र महतो भी चार महीनों से है एडमिट

अदालत से सजायाफ्ता कैदी जितेंद्र महतो भी चार महीने से रिम्स में एडमिट है। पीठ में दर्द की शिकायत के बाद सात अप्रैल को उसे रिम्स में एडमिट किया गया था। यहां के कॉटेज संख्या-पांच में रहकर वह इलाज करा रहा है। डॉ सीबी शर्मा की देखरेख में ट्रीटमेंट चल रहा है। यहां भी हर दिन मुलाकात करने के लिए कई लोग आते हैं। जितेंद्र से इनकी घंटों बातचीत होती है, पर इसपर निगरानी रखने की जहमत किसी को नहीं होती है।

हाईकोर्ट ने कहा था, रिम्स को न बनने दें पिकनिक स्पॉट

इलाज के नाम पर रिम्स के कॉटेज अथवा कैदी वार्ड में आराम फरमा रहे कैदियों के मामले पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कैदियों को सात दिन से ज्यादा नहीं रखने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने कहा था-रिम्स कैदियों का पिकनिक स्पॉट बनकर रह गया है। ऐसे में कैदियों को इलाज के लिए एक सप्ताह से ज्यादा रिम्स में नहीं रखा जाए। अगर इससे ज्यादा दिन कैदियों को रखने की नौबत आए तो इसके लिए मेडिकल जांच करानी होगी। राज्यस्तरीय मेडिकल बोर्ड टीम के फैसले के बाद कैदी को इलाज के लिए रिम्स में अधिकतम 15 दिन ही रखा जाए। इतना ही नहीं, अगर किसी कैदी को रिम्स से रेफर करने की नौबत आती है तो उसे तीन दिनों में ही दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट कर देने की जिम्मेवारी जेल प्रशासन की होगी। लेकिन, सिचुएशन है कि हाईकोर्ट के इन निर्देशों का पालन न तो रिम्स प्रबंधन कर रहा है और न ही जेल प्रशासन।