क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : रिम्स में अब न्यू बॉर्न बेबी के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) बनाया जा रहा है. जहां 28 दिन तक बच्चों का इलाज इस यूनिट में होगा. यूनिट में बच्चे के ट्रीटमेंट से लेकर उसका पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा. इससे बच्चे का ट्रीटमेंट बेहतर हो सकेगा. वहीं 24 घंटे उसकी मॉनिटरिंग की जा सकेगी. इससे क्रिटिकल से क्रिटिकल बच्चों को भी रिम्स में नया जीवनदान मिलेगा. बताते चलें कि छह महीने के अंदर ही सुपरस्पेशियलिटी बिल्डिंग में एनआईसीयू की सुविधा मिलने लगेगी. तब हिस्ट्री देख होगा इलाज

हॉस्पिटल में फिलहाल हजारों बच्चे इलाज के लिए आते हैं. लेकिन इलाज कराने के बाद उनका रिपोर्ट परिजन ले जाते हैं. वहीं दोबारा इलाज के लिए आने पर भी वह रिपोर्ट डॉक्टर को नहीं मिल पाती. इस चक्कर में पेशेंट की हिस्ट्री नहीं मिल पाती और डॉक्टर फिर नए सिरे से इलाज शुरू कर देते हैं. लेकिन इस नए सिस्टम के चालू हो जाने के बाद ट्रीटमेंट से लेकर रिपोर्ट तक ऑनलाइन रहेगी. जिससे कि पेशेंट की पूरी जानकारी डॉक्टर को मिल जाएगी. वहीं हिस्ट्री को देखते हुए उसका इलाज किया जाएगा.

एडमिशन संग आईपीडी नंबर

हॉस्पिटल में एडमिट होते ही आईपीडी नंबर जारी किया जाएगा. इसके बाद पूरी डिटेल उस नंबर में ही रहेगी. ट्रीटमेंट से लेकर दवाएं भी वह नंबर डालते ही स्क्रीन पर होंगी. इससे डॉक्टरों के लिए भी पेशेंट का इलाज करना आसान होगा. साथ ही परिजनों को बार-बार रिपोर्ट लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसके अलावा टेस्ट की रिपोर्ट भी इसी नंबर से मिल जाएगी.

डिजिटल ट्रैकिंग से रखेंगे नजर

एनआईसीयू में न्यू बॉर्न बेबी के लिए डिजिटल ट्रैकिंग की सुविधा होगी. जिससे कि संबंधित डॉक्टर्स ऑनलाइन ही बच्चे की स्थिति को मॉनिटर कर सकेंगे. इसके अलावा बच्चे के डाइट, ग्रोथ और अन्य एक्टिविटी भी डॉक्टर घर बैठे देख सकेंगे. इसका फायदा गंभीर मरीजों को मिलेगा. वहीं हर दिन के डेवलपमेंट से इलाज भी बेहतर ढंग से हो सकेगा. चूंकि कई बार मरीजों की अनदेखी की वजह से प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं मिल पाता और उसकी हालत बिगड़ जाती है.

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वर्जन

एनआईसीयू से हमारी नियोनेटल सर्विस में सुधार आएगा. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसी भी समय बड़ी आसानी से पेशेंट के रिकॉर्ड निकाले जा सकेंगे. हर एक रिकॉर्ड को डिजिटल फार्मेट में रिकॉर्ड किया जा सकेगा. डिजिटलाइजेशन से रिपिटेशन की संभावना नहीं होगी. वहीं बच्चों को क्या-क्या दवाएं दी गई इसका भी ब्योरा उपलब्ध होगा. डॉक्टर्स के लिए भी यह बेहद फायदेमंद होगा क्योंकि नए सिस्टम से उन्हें बच्चों के बारे में हर जानकारी आसानी से मिलेगी.

डॉ.अभिषेक, असिस्टेंट प्रोफेसर, पेडियाट्रिक सर्जरी