RANCHI : राज्य का सबसे बड़ा हॉस्पिटल रिम्स एक बार फिर लावारिसों का आश्रयगृह बन गया है। स्थिति यह है कि इन लावारिसों की वजह से इलाज करा रहे मरीजों और उनके परिजनों की परेशानी बढ़ गई है। कभी ये वार्ड में पहुंच जा रहे हैं तो कभी गैलरी में। इन लावारिसों में कई की दिमागी हालत भी ठीक नहीं है। ऐसे में परिजनों को इनके पास से गुजरने के दौरान यह डर भी बना रहता है कि कहीं ये कुछ कर न बैठे। इसके बावजूद मरीजों का लावारिसों से पिंड छुड़ाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है।

इंफेक्शन होने का डर

हॉस्पिटल के बेसमेंट में दो महत्वपूर्ण विभाग चल रहे हैं। जहां आइसोलेशन और आर्थो के मरीज एडमिट रहते हैं। इसके बावजूद लावारिस जहां-तहां भटकते रहते हैं। इतना ही नहीं मानसिक रूप से विक्षिप्त होने के कारण ये गंदगी भी फैलाते हैं। जिसकी कई दिनों तक सफाई भी नहीं हो पाती है। अगर यही हालात बने रहे तो मरीजों के साथ ही उनके परिजनों को भी कई तरह का इंफेक्शन हो सकता है।

कई को अब भी अपनों का इंतजार

रिम्स में कई ऐसे लावारिस बेसमेंट में पड़े हुए हैं जिनको उनके परिवार वालों ने अपने साथ ले जाना मुनासिब नहीं समझा। साथ में लेकर आए और इलाज के बहाने यहीं छोड़कर चले गए। ये आज भी इस इंतजार में हैं कि शायद उनका कोई अपना आये और उन्हें ले जाए। हालांकि पिछले साल भी ऐसे ही दर्जनों लावारिस मरीज रिम्स में आ गए थे। लेकिन बाद में उन्हें रिनपास भेज दिया गया था।

फ्री में खाना और रहने का ठिकाना

लावारिस मरीजों के लिए रिम्स का बेसमेंट आरामगाह बना हुआ है। जहां उनके रहने के लिए ठिकाना मिला हुआ है। वहीं उन्हें खाने के लिए खाना भी फ्री में मिल जाता है। रिम्स में किचन में काम कर रही प्राइम सर्विस के स्टाफ उन्हें खाना दे जाते हैं। ऐसे में वे भला यहां से क्यों खिसकने का नाम लेंगे। ये भी एक सवाल है।

जमीन पर खाना देना पड़ा था भारी

लावारिस मरीजों को खाना एजेंसी के लोग देकर चले जाते हैं। इस बीच एक लावारिस को जमीन पर ही खाना देने का मामला सामने आया था। इसके बाद ह्यूमन राइट्स और कई दलों के नेताओं ने जमकर बवाल मचाया था। तब प्रबंधन ने गाड़ी की व्यवस्था कर लावारिसों को रिनपास भेज दिया था। अब फिर से वैसा ही माहौल रिम्स में बन चुका है।