RANCHI : राज्य का सबसे बड़ा हॉस्पिटल रिम्स भी स्टॉफ की कमी से जूझ रहा है। इससे पूरा सिस्टम पंगु जैसा हो गया है। स्टाफ कम होने का असर यह है कि फाइलें जहां पड़ी हैं वो आगे बढ़ ही नहीं पा रही हैं। इस वजह से मरीजों से लेकर स्टूडेंट्स के काम भी प्रभावित हो रहे हैं। इस समस्या ने कई टेंडर को भी फंसा रखा है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन स्टाफ बढ़ाने पर ध्यान नहीं दे रहा है। यह हाल तब है जबकि रिम्स का दायरा तो बढ़ता जा रहा है लेकिन स्टाफ बढ़ाने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

ऑफिस में गिनती के है स्टाफ

हॉस्पिटल प्रबंधन से लेकर स्टूडेंट्स सेक्शन में गिनती के स्टाफ बचे हैं। इन्हीं के बल पर पूरे हॉस्पिटल का काम चलाया जा रहा है। जबकि काम को देखते हुए 150 स्टाफ की जरूरत है। लेकिन हॉस्पिटल में मात्र 36 लोग ही अपनी सेवा दे रहे हैं। ऐसे में काम प्रभावित होना लाजिमी है। इतना ही नहीं सैंक्शन पोस्ट के 67 में से सिर्फ 36 स्टाफ ही कार्यरत हैं।

एक स्टाफ के जिम्मे कई काम

हॉस्पिटल में स्टाफ की कमी होने के कारण एडमिनिस्ट्रेशन सेक्शन का काम खुद अधिकारी करते हैं। वहीं एक-एक स्टाफ के जिम्मे कई काम है। इस वजह से फाइलों का मूवमेंट नहीं हो पाता। लेटर डिस्पैच करने और पेपर पहुंचाने में भी काफी समय लग रहा है।

वार्ड से भी रिटायर हो गए कई

रिम्स में मरीजों को सालों तक अपनी सेवा देने के बाद वार्ड के कई स्टाफ भी रिटायर हो गए। लेकिन उनकी जगह पर दोबारा किसी को बहाल नहीं किया गया। अब उनके नहीं होने का खामियाजा वार्ड में इलाज करा रहे मरीज भुगत रहे हैं।

नर्स नियुक्ति मामला ठंडे बस्ते में

हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की देखभाल के लिए 2700 नर्स की जरूरत है। पर हॉस्पिटल में सिर्फ 350 नर्स ही सेवा दे रही हैं। नर्सो की बहाली को लेकर विज्ञापन भी निकाला गया था। कुछ दिनों के बाद वह भी ठंडे बस्ते में चला गया।

दो महीने बाद भी इंटरव्यू नहीं

अलग-अलग विभागों में स्टाफ की बहाली को लेकर विज्ञापन निकाला गया। इसके बाद सभी से ड्राफ्ट और एप्लीकेशन भी मांगे गए। लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी न तो इंटरव्यू शुरू हो पाया और न ही दोबारा कोई पहल की जा रही है। जबकि सीएम ने भी जल्द स्टाफ की कमी दूर करने का आदेश दिया था।