-कार्यदायी संस्था के तौर पर एनबीसीसी का किया जा चुका है चयन

-रिस्पना-बिंदाल के 36 किमी में से 3.4 किमी हिस्से में आरएफडी की होनी थी शुरुआत

देहरादून, रिस्पना व बिंदाल नदी को साबरमती नदी की तर्ज पर डेवलेप करने के लिए करीब एक दशक पहले रिस्पना-बिंदाल रिवर फ्रंट योजना की सोच को अब तक पंख नहीं लग पाये हैं। पिछले वर्ष ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक नहीं कई बार अधिकारियों की बैठकें ली। 15 दिनों में रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए। लेकिन, बताया जा रहा है कि अब तक काम एक कदम आगे नहीं बढ़ पाया है। पूछने पर भी जिम्मेदार अधिकारी न फोन उठाने का राजी हैं और कुछ बताने को।

टेक्निकल सपोर्ट को एमओयू

वर्ष 2010 में तत्कालीन मेयर विनोद चमोली ने एमडीडीए के अधिकारियों के साथ साबरमती का दौरा कर तत्कालीन रमेश पोखरियाल निशंक सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बार साबरमती रिवर फ्रंट डेवलेपमेंट कार्पोरेशन की टीम ने अपना प्रजेंटेशन दिया था। बाद में हरीश रावत सरकार ने भी रिस्पना व बिंदाल की सूरत को संवारने के लिए रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट तैयार किया। कुछ काम होने के बाद प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। वर्तमान त्रिवेंद्र सरकार ने ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर इस पर कसरत शुरू की है। खुद सीएम ने इस पर इनिसिएटिव लेते हुए कई बार बैठकें की। कार्यदायी संस्था का चयन हुआ और साबरमती रिवर फ्रंट कार्पोरेशन लिमिटेड के साथ टेक्निकल सपोर्ट का एमओयू भी साइन हुआ। लेकिन, कब तक इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा, यह अब भी तय नहीं है। फिलहाल इन नदियों में काला जहरीला सीवर का पानी बह रहा है और दोनों तरफ अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है।

प्रमुख बातें

-रिस्पना नदी की लंबाई धोरण पुल से बाला सुंदरी मंदिर तक 1.2 किमी।

-बिंदाल नदी की लंबाई हरिद्वार बायपास रोड के पुल क्षेत्र में 2.2 किमी।

-रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के तहत नदियों को चैनलाइजेशन।

-जन सुविधाओं व सड़कों का निर्माण।

-निर्धनाें के लिए आवास निर्माण।

-पार्किंग व्यवस्था व आरएफडी एरियाज का ब्यूटिफिकेशन।

-हरियाली क्षेत्रों का विकास।

-साइकिल ट्रैक, पुल निर्माण व थीम पार्क।

-चेक डैम, रेन वाटर निकासी की व्यवस्था।

सीएम से की थी मुलाकात

25 नवंबर 2019 को साबरमती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष केशव वर्मा ने सीएम से मुलाकात की थी। इस दौरान सरकार ने एसआरएफडीसीएल से रिस्पना रिवर फ्रंट के लिए टेक्निकल सपोर्ट को लेकर चर्चा की। सीएम ने कहा था कि कार्यदायी संस्था के तौर पर एनबीसीसी का नाम तय कर किया गया है। सीएम ने ये भी कहा था कि रिस्पना के पुनर्जीवीकरण से देहरादून के पर्यावरण की शुद्धता व नेचुरल ब्यूटी को भी बढ़ावा मिलेगा। टूरिस्ट को इसका लाभ मिलेगा। इस दौरान साबरमती रिवर फ्रंट डेवलेपमेंट कार्पोरेशन के अध्यक्ष केशव वर्मा ने सीएम को भरोसा दिया था कि उनके द्वारा कार्यदायी संस्था को पूरा सहयोग दिया जा रहा है। वाटर कंजर्वेशन व नेचुरल ब्यूटी को बढ़ावा देने में इससे निश्चित रूप से मदद मिलेगी।

सीएम ने ली थी बैठक

रिस्पना-बिंदाल रिवर फ्रंट योजना को लेकर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत शुरू से ही सख्त रहे हैं। कई बार इस प्रोजेक्ट को लेकर बैठक ले चुके हैं। बीते वर्ष 16 अगस्त 2019 को सीएम ने अधिकारियों की बैठक ली थी। इस दौरान सीएम ने यहां तक निर्देश दिए थे कि कार्यदायी संस्था के चयन को फाइनल टच दिया जाए और प्रोजेक्ट को एक्टिवेशन मोड में रखने के साथ ही इससे संबंधित फॉर्मेलिटीज 15 दिन में पूरी कर लिया जाएं। कहा था कि रिस्पना व बिंदाल की नदियों को पुनर्जीवित करना दून के हित में जरूरी है। इस दौरान एमडीडीए के वीसी डॉ। आशीष कुमार श्रीवास्ताव ने कहा था कि कार्यदायी संस्था के चयन के लिये तीन बार बिड आमंत्रित की जा चुकी हैं। तीनों बार (एनबीसीसी इंडिया लिमिटेड)नेशनल बिल्डिंग कंसट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड से ही प्रपोजल्स हासिल हुए।

750 करोड़ रुपये बजट का अनुमान

फरवरी 2018 में एमडीडीए ने रिस्पना व बिंदाल के 36 किमी हिस्से को डेवलेप करने के लिए प्रोजेक्ट की लागत 750 करोड़ रुपए आंकी थी। हालांकि ट्रायल फेज में 3.4 किमी को डेवलेप करना था। जून 2019 में अथॉरिटी ने एनबीसीसी को कार्यदायी संस्था घोषित कर दिया। कुछ दिनों तक 43 हेक्टेयर लैंड शासन से एमडीडीए को ट्रांसफर होने का पेंच फंसा। इसके लिए एमडीडीए को जो अधिकारी प्रोजेक्ट को देख रहे थे, उनका ट्रांसफर मूल विभाग में हो गया। वर्तमान में प्रोजेक्ट को देख रहे एग्जिक्यूटिव इंजीनियर श्याम मोहन शर्मा का कहना है कि अभी रिवर फ्रंट योजना में कोई काम शुरू नहीं हो पाया।

45 करोड़ रुपए पुस्ते बहे

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पुस्ते बनाए जाने के कुछ काम भी शुरू हुए। बताया जा रहा है कि पुस्ते बनाने पर 45 करोड़ रुपए तक खर्च हुए। लेकिन बरसात में ये पुस्ते ढह गए।