- शहर में फुटपाथों पर बिक रहे नकली आईएसआई मार्क लगे हेलमेट

- चंद रुपए बचाने के लिए बड़ी तादाद में लोग यूज कर रहे नकली माल

- एमवी एक्ट में आईएसआई मार्क लगे हेलमेट को ही पहनने की हिदायत

BAREILLY:

शहर में रोड पर मौत का सामान यानि नकली आईएसआई मार्का हेलमेट खुलेआम बिक रहे हैं, जिन्हें सस्ते में खरीदकर लोग अपनी सुरक्षा से भी समझौता कर रहे हैं। अफसोस की बात है कि सुरक्षा का दावा करने वाले अफसरान भी इस मसले पर नजर फेरे हुए हैं। न तो वह नॉन ब्रांडेड हेलमेट लगाकर चल रही पब्लिक पर कार्रवाई कर रहे हैं और न ही घटिया हेलमेट की बिक्री करने वालों पर रोक लगा रहे हैं।

हेलमेट न पहनना बना है मौत का सबब

दोपहिया वाहन एक्सीडेंट में ज्यादातर मौते हेलमेट न पहनने या फिर अनब्रांडेड हेलमेट लगाने की वजह से होती हैं। यह बात तमाम दुर्घटनाओंक जांच रिपोर्ट में सामने भी आ चुकी है बावजूद इसके अधिकारी हादसों से सबक नहीं ले रहे हैं। वैसे तो हेलमेट न लगाने या फिर नॉनब्रांडेड हेलमेट पहनने पर सौ रुपया जुर्माना का प्रावधान है, लेकिन कार्रवाई न होने की वजह से नियमों का उल्लंघन कर लोग बच निकलते हैं।

चालान का लक्ष्य पूरा करने तक सीमित है यातायात माह

यातायात माह रोड सेफ्टी के लिए हर साल चलाया जाता है और अभी यातायात माह चल भी रहा है। चौराहे-तिराहों पर पुलिस हेलमेट न पहनने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन वह इस पहलू को नजरअंदाज कर रहे हैं कि हेलमेट ब्रांडेड है या फिर नॉनब्रांडेड।

मतलब साफ है कि पुलिस का टारगेट चालान है न कि सेफ्टी।

मजबूती से मिलती है सुरक्षा

एक्सपर्ट के मुताबिक यातायात नियमों में आईएसआई मार्क हेलमेट पहनने का सुझाव दिया गया है। क्योंकि यह न केवल अंदर से मजबूत होता है बल्कि सिर की सुरक्षा भी करता है। इसमें अंदर की ओर थर्माकोल और बाहर की ओर स्टील लगी होती है। जो सिर को चोटों से बचाता है। साथ ही इसमें आगे की ओर लगा मजबूत माउथ गार्ड चेहरे की हिफाजत करता है। जबकि नकली हेलमेट में अंदर से खोखला होता है।

यातायात माह में बढ़ जाती है बिक्री

शहर में यूं तो आए दिन नकली हेलमेट की बिक्री होती है। लेकिन यातायात माह की शुरूआत होते ही नकली हेलमेट बेचने वालों की चांदी हो जाती है। कस्टमर की नब्ज को परखकर यह दुकानदार कीमत तय करते हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस की ओर से भी नकली हेलमेट बेचने और पहनने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। जबकि एमवी एक्ट में आईएसआई हेलमेट पहनने और चेकिंग के निर्देश हैं। लेकिन शहर में फिलहाज अभी तक आईएसआई हेलमेट पहनने और बेचने किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

असली और नकली में फर्क

नकली हेलमेट में आईएसआई मार्क अजीब सा दिखेगा। इसकी प्रिंटिंग भी ठीक नहीं होगी। यह हेलमेट प्लास्टिक का बना होने से काफी हल्का होता है। अंदर की ओर पतला थर्माकोल अथवा गत्ता लगा होता है। इसकी कीमत क्ख्0 रूपए से करीब ब् सौ रूपए तक होगी। खरीददारी की कोई रसीद और गारंटी नहीं मिलती। जबकि असली हेलमेट में आईएसआई मार्क कंपनी के लोगो के नीचे लगा होगा। प्रिंटिंग साफ होगी और होलोग्राम भी लगा होगा। अंदर का थर्माकोल और फोम मोटा होता है। इसकी कीमत की शुरूआत भ् सौ से क्7 सौ रूपए तक हो सकती है। इसकी बकायदा रसीद और गारंटी भी मिलती है।

सुरक्षा की दृष्टि से लोगों को आईएसआई हेलमेट ही पहनना चाहिए। यह एमवी एक्ट में दर्ज है। चालान होने के डर से लोग नकली हेलमेट लगा रहे हैं। लोग अपनी ही सुरक्षा के प्रति लापरवाही भरा रवैया अपना रहे हैं। ओपी यादव, एसपी ट्रैफिक