कानपुर। 26 दिसंबर 1935 को गुएना में जन्में रोहन भोलालाल कन्हाई आज 84 साल के हो गए। रोहन कन्हाई वेस्टइंडीज के बेहतरीन क्रिकेटरों में गिने जाते हैं। रोहन ने अपनी अनोखी बल्लेबाजी से लाखों फैंस को अपना दीवाना बनाया। इसमें एक नाम लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर का भी है। पूर्व भारतीय बल्लेबाज गावस्कर लीजेंड्री कैरेबियाई बल्लेबाज रोहन कन्हाई से काफी प्रभावित रहे। रोहन ने 60-70 के दशक में अपनी बैटिंग से फैंस का भरपूर मनोरंजन किया।

आज ही पैदा हुआ था वो क्रिकेटर,जिसने पहली बार जमीन पर लेटकर मारा था शाॅट

सुगर प्लाॅन्ट में हुआ जन्म

रोहन कन्हाई भारतीय मूल के हैं। आजादी से पहले ही ब्रिटिश राज में रोहन के पूर्वज गुएना में जाकर बस गए थे। यहीं पर रोहन का जन्म हुआ। धीरे-धीरे समय गुजरता गया और रोहन की रुचि क्रिकेट में होने लगी। यह वो वक्त था जब वेस्टइंडीज में क्रिकेट का रोमांच चरम पर था। ऐसे में अन्य लड़कों की तरह रोहन ने भी क्रिकेट में हाथ आजमाया। वह स्कूल क्रिकेट टीम में शामिल हुए, तब वह बिना ग्लव्स और पैड पहने बैटिंग करते थे। चार साल तक वह स्कूल टीम के लिए जमकर रन बनाते रहे। यही नहीं लास्ट सीजन में उन्हें टीम की कप्तानी भी मिली।

1957 में रखा इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम

दाएं हाथ के विकेटकीपर बल्लेबाज रोहन कन्हाई ने पहला टेस्ट मैच साल 1957 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला। डेब्यू मैच में कन्हाई 43 रन ही बना पाए। हालांकि कन्हाई के क्रिकेट करियर का टर्निंग प्वाॅइंट 1958 रहा, जब इंडिया के खिलाफ कोलकाता में खेले गए एक टेस्ट में कन्हाई ने सीधे दोहरा शतक जड़ दिया। इससे पहले रोहन ने शतक तक नहीं लगाया था मगर एक बार डबल सेंचुरी लगाने के बाद कन्हाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार रन बनाते गए।

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चोट के बावजूद उतरे खेलने

रोहन कन्हाई एक जुझारु क्रिकेटर रहे हैं। साल 1960 की बात है, उस वक्त विंडीज टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। सीरीज का एक मैच मेलबर्न में खेला जाना था। मैच से पहले रोहन के पैर की मांसपेशियों में खिंचाव आ गया। मेडिकल जांच के पता डाॅक्टर्स ने उन्हें खेलने से मना कर दिया। इस बात से कन्हाई काफी निराश हो गए। वह पूरी रात नहीं सोए, अगले दिन जब मैच खेला जाना था तब उन्होंने कप्तान के पास जाकर खेलने की इच्छा जताई। पहले तो सभी कन्हाई के इस फैसले से हैरान थे मगर जब वह मैदान में उतरे तो 84 रन की पारी खेली।

अनोखे शाॅट का किया आविष्कार

रोहन कन्हाई को एक अनोखे क्रिकेट शाॅट के जनक के रूप में जाना जाता है। बैटिंग के दौरान कन्हाई लेटकर शाॅट मारते थे जिसे 'फाॅलिंग स्वीप शाॅट' कहा जाता है। यह शाॅट होता तो स्वीप शाॅट की तरह है मगर कन्हाई यह शाॅट इतनी परफेक्शन के साथ मारते थे कि शाॅट लगाते ही वहीं क्रीज पर लेट जाते। कन्हाई से पहले क्रिकेट इतिहास में किसी ने न इस शाॅट को खेला था, न इसके बारे में सुना था।

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ऐसा रहा है इंटरनेशनल करियर

वेस्टइंडीज के इस दिग्गज बल्लेबाज ने साल 1957 से लेकर 1974 तक अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला। इस दौरान कन्हाई ने कुल 79 टेस्ट मैच खेले जिसमें 47.53 की औसत से 6227 रन बनाए। इसमें 15 शतक और 28 अर्धशतक शामिल है। यही नहीं वनडे की बात करें तो इस विंडीज खिलाड़ी ने 7 मैच खेलकर सिर्फ 164 रन बनाए। हालांकि जब तक वनडे क्रिकेट पाॅपुलर होता तब तक कन्हाई रिटायर हो चुके थे।

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