कई धाराओं के तहत मिली सजा
देश के सबसे बड़े लेखा घोटाले में फंसे राजू को कई धाराओं के तहत सजा दी गई है. इनमें वित्तीय धोखाधड़ी, सबूतों के साथ छेड़छाड़ और लेखा विभाग में धांधली के आरोप में दोषी पाया गया है. इस विशेष अदालत में केस की सुनवाई कर रहे जज बी.वी. चक्रवर्ती ने रामलिंगा राजू पर सभी आरोपों को सिद्ध पाया और फिर सजा का एलान किया.

देश के बड़े घोटालों में से एक

7 जनवरी 2009 को देश के सामने एक ऐसा घोटाला सामने आया, जिसने देशवासियों को हिला के रख दिया. खासतौर पर शेयर मार्केट में बिजनेस करने वाले लोगों को तगड़ा झटका लगा था. सत्यम कंप्यूटर्स के नाम से कंपनी चला रहे फाउंडर और चेयरमैन रामलिंग राजू ने कंपनी के एकाउंट्स में बहुत बड़ी हेरा-फेरी की थी. राजू ने कई सालों तक मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था. इसके चलते निवेशक कंपनी का फायदा देखकर शेयर खरीदने लगे और कंपनी की वैल्यू बढ़ती चली गई.   

6 साल तक चली सुनवाई
कंपनी के एकाउंट्स में इतना बड़ा घोटाला सामने के 2 दिन बाद आंध्र प्रदेश पुलिस की क्राइम सेल ने राजू और उनके भाई रामा राजू को अरेस्ट कर लिया. हालांकि इनके साथ कुछ और लोगों भी शामिल थे, वे सब भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए. करीब 6 साल तक चली इस सुनवाई में 3,000 डाक्यूमेंट्स को सामने लाया गया. वहीं 226 गवाहों से पूछताछ की गई. फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं, लेकिन 10 अप्रैल को कोर्ट इन्हें सजा सुनाएगी.

राजू ने कबूल किया था गुनाह
सत्यम कंपनी के चेयरमैन बी. रामालिंग राजू ने घोटाला सामने आने के बाद अपने ऊपर लगे आरोपों को खुद कबूल किया था.  राजू ने बताया था कि, वह कंपनी के एकाउंट्स में मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते थे और सभी देनदारियों को छुपाकर रखते थे. आपको बताते चलें कि फॉर्च्यून-500 की लिस्ट में आने वाली 185 बड़ी कंपनियां सत्यम की क्लाइंट थीं. वहीं कंपनी का बिजनेस 66 देशों में फैला था. फिलहाल इस घोटाले का असर आम जनता पर काफी पड़ा. दिसंबर 2008 तक सत्यम का एक शेयर 544 रुपए का था. लेकिन जैसे ही घोटाला सामने आया यह गिरकर 11 रुपए प्रति शेयर हो गया. इसके चलते निवेशकों के 14 हजार करोड़ रुपए डूग गए.

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