यूपी बोर्ड के 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स नंबरों की जांच के लिए ले रहे आरटीआई का सहारा
पिछले सालों के मुकाबले इस साल सबसे ज्यादा हुए आरटीआई व स्क्रूटनी के आवेदन
Meerut । बोर्ड परीक्षाओं में अपने नंबरों से नाखुश स्टूडेंट्स राइट टू इंफोर्मेशन (आरटीआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं। दरअसल, स्टूडेंट्स परीक्षा में मिले नंबर पर संदेह जताकर अपनी कापियों की री-चेकिंग खुद करना चाहते हैं। इसके लिए वह बोर्ड कार्यालय में आरटीआई लगा रहे हैं। खास बात यह इस साल आरटीआई और स्क्रूटनी के लिए सबसे ज्यादा आवेदन बोर्ड कार्यालय में पहुंचे हैं।
यह है स्थिति
स्क्रूटनी
2017
10वीं - 900
12वीं - 1700
2018
10वीं - 1600
12वीं - 9000
आरटीआई
2016- 90
2017- 125
2018
10वीं- 150
12वीं- 350
स्क्रूटनी और आरटीआई में अंतर
स्क्रूटनी के तहत आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स के सिर्फ मार्क्स चेक किए जाते हैं। री-चेकिंग के दौरान इस पहलू को देखा जाता है कि कहीं अंक टोटल करने में छूट तो नहीं गया है। स्टूडेंट की कॉपी में दोबारा अंकों को गिनकर टोटल किया जाता है। जबकि राइट टू इंर्फोमेशन एक्ट के तहत आवेदन करने वाले स्टूडेंट्स अपनी कॉपी खुद चेक करते हैं। इसमें अगर कोई प्रश्न चेक करने से रह जाता है या गलत चेक किया जाता है तो स्टूडेंट खुद चेक करके बोर्ड को बता सकता है।
कापियां जांचने की मांग
इस सत्र में आयोजित हुई बोर्ड परीक्षा के स्टूडेंट्स को सिर्फ एक विषय की आंसरशीट नहीं देखना चाहते हैं। स्टूडेंट्स में कई-कई विषयों को लेकर संशय बना हुआ है। यह खुलासा विभाग में पहुंची आरटीआई के जरिए हुआ है। विभागाधिकारियों के अनुसार स्टूडेंट्स 10 रूपये का आवेदन कर सभी कॉपियां देखने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में विभाग के लिए लाखों बच्चों की कापियों में से एक ही बच्चे की सभी कॉपियां छांटने का काम बेहद सिरदर्दी भरा है।
स्क्रूटनी से पास हुए
स्क्रूटनीआवेदन के तहत 10वीं के फेल हुए 34 स्टूडेंट्स पास हुए हैं जबकि करीब 85 स्टूडेंट्स की डिवीजन में बदलाव आया है। जबकि इतने ही स्टूडेंट्स के मार्क्स बढ़े हैं। इंटर के 467 स्टूडेंट्स के मार्क्स बढ़े हैं। 97 परीक्षार्थियों की डिवीजन में बदलाव आया है।
इस बार काफी संख्या में आरटीआई के आवेदन हमारे पास पहुंचे हैं। सभी स्टूडेंट्स को उनकी आंसरशीट दिखाने की व्यवस्था की जा रही है।
राणा सहस्त्रांशु सिंह, क्षेत्रीय बोर्ड सचिव, मेरठ