-कुंभ मेला ने पूरी दुनिया को दिखाया क्या है प्रयागराज की ग्लोबल पहचान

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PRAYAGRAJ: इस साल आयोजित कुंभ मेला ने न केवल देश, बल्कि दुनिया दिखाया कि तीर्थो की नगरी में कुंभ मेला का महत्व क्या है। शुक्रवार को पेश हुए आम बजट में देश भर में 17 टूरिस्ट स्पॉट आइकॉनिक सेंटर के रूप में डेवलप करने की बात कही गई है। ऐसे में प्रयागराज स्थित त्रिवेणी संगम में वह क्षमता नजर आती है, जिसे आइकॉनिक सेंटर के रूप में डेवलप किया जा सकता है। गौरतलब है कि यहां 49 दिनों के कुंभ मेला के दौरान पूरी दुनिया से लगभग 24 करोड़ लोगों ने आकर डुबकी लगाई थी। एक नजर संगमनगरी के कुछ पौराणिक स्थलों के बारे में जो इसे तीर्थनगरी का दर्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

नागवासुकि मंदिर

पुराण में कहा गया है कि गंगा स्वर्ग से गिरी तो पृथ्वी लोक से पाताल में चली गई। पाताल लोक में उनकी धार नागवासुकि के फन पर गिरी। यहां नागवासुकि को शेषराज, सर्पनाथ व सर्वाध्यक्ष कहा गया है। 1739 में नागपुर के शासक रघु जी भोंसले के राज पंडित श्रीधर ने जीर्ण नागवासुकि मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।

हनुमान मंदिर, बंधवा

बड़े हनुमान का मंदिर संगम के पास स्थित है। यह प्रयाग के कोतवाल के नाम से मशहूर हैं। मंदिर इसलिए खास है कि क्योंकि यहां हनुमानजी की मूर्ति लेटी हुई अवस्था में हैं। मान्यता के अनुसार संगम का पुण्य तभी पूर्ण माना जाता है जब इस मंदिर का दर्शन कर लिया जाता है।

अक्षयवट

प्रयागराज स्थित अकबर के किले में एक ऐसा वट है जो कभी यमुना नदी के किनारे हुआ करता था और जिस पर चढ़कर लोग मोक्ष की कामना से नदी में छलांग लगा देते थे। अक्षयवट का जिक्र सातवीं शताब्दी में व्हेनसांग की यात्रा संस्मरण में भी किया गया है।

मनकामेश्वर मंदिर

यमुना किनारे स्थित भगवान शिव का मनकामेश्वर मंदिर पौराणिक महत्व का है। स्कंद पुराण और प्रयाग महात्म्य के अनुसार अक्षयवट के पश्चिम में पिशाचमोचन मंदिर के पास यमुना किनारे भगवान कामेश्वर का तीर्थ है। इन्हें भगवान शिव का पर्याय माना जाता है। जहां शिव होते हैं वहां निश्चित रूप से कामेश्वरी यानि पार्वती का वास होता है। इसलिए यहां भैरव, यक्ष, किन्नर आदि गण भी विराजते हैं।

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नागवासुकि मंदिर का बना था प्रस्ताव

दारागंज में स्थित नागवासुकि मंदिर को आईकॉनिक टूरिस्ट सेंटर बनाने का प्रस्ताव कुंभ मेला के दौरान लिया गया था। उप निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया कि मेला की अवधि में सीएम योगी आदित्यनाथ का मंदिर को सेंटर बनाने संबंधित प्रस्ताव तैयार करके भेजने का निर्देश दिया था। इसे मेला समाप्त होने के बाद शासन को भेजा गया था।