- एफडी के 35 करोड़ रुपये निकालकर हाउसिंग सोसायटी में लगाए

- आरयू के 300 करोड़ रुपये बचत कोष में भी गोलमाल के आरोप

बरेली : आरयू के वीसी प्रो। अनिल शुक्ला और फाइनेंस ऑफिसर सुरेश उपाध्याय पर फाइनेंसियल गड़बड़ी करने के आरोप लगे हैं। उन पर फिक्स डिपॉजिट (एफडी) के 150 करोड़ रुपये पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) हाउसिंग फाइनेंस सोसायटी में निवेश करने का आरोप लगा है। हालांकि, फाइनेंस ऑफिसर का कहना है कि सिर्फ 35 करोड़ रुपये हाउसिंग सोसायटी में निवेश किए गए हैं। क्योंकि उसमें आठ फीसद की दर से ब्याज मिलता है।

आरयू का सेविंग फंड करीब 300 करोड़ रुपये का है। यह पैसे, पेंशन, वेतन भुगतान और बुरे वक्त के लिए एफडी के रूप में सुरक्षित थे। दावा किया गया है कि अफसरों ने एफडी मेच्योर होने के बाद दोबारा एफडी नहीं कराई और हाउसिंग सोसायटी में निवेश शुरू कर दिया। 35 करोड़ रुपये पिछले साल निवेश किए थे। इसके बाद भी निवेश जारी रहा। सोसायटी में निवेश से करोड़ों रुपये का कमीशन भी मिला। मामला शासन तक पहुंचा तो यूनिवर्सिटी में खलबली मच गई।

यह है शासनादेश

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सरकारी उपक्रम के निवेश के लिए एक शेड्यूल बैंक लिस्ट जारी की है। इसमें स्पष्ट किया है कि 50 फीसद तक बैंक या कंपनी के शेयर वाली सोसायटी में भी निवेश कर सकते हैं। ऐसा सुरक्षित निवेश के लिए किया है। शिकायतकर्ता का दावा है कि आज की तारीख में पीएनबी हाउसिंग सोसायटी में पीएनबी का केवल 12 प्रतिशत शेयर है, जबकि 88 फीसद निजी हिस्सेदारी है। यानी एक तरह से पूरी सोसायटी निजी हाथों में हैं। इसलिए निवेश असुरक्षित माना जा रहा है।

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एफडी मेच्योर होने के बाद हमने सोसायटी में निवेश किया है। एफडी में साढ़े छह फीसद ब्याज मिलता। सोसायटी आठ फीसद ब्याज दे रही है, जो मिल भी रहा है। ब्याज की राशि से ही पेंशन दी जाती है। घोटाला, कमीशन के आरोप निराधार हैं।

सुरेश उपाध्याय, फाइनेंस ऑफिसर, आरयू

वित्तीय मामलों में वित्त अधिकारी की सलाह ली जाती है। उन्हीं की सलाह पर निवेश किया गया है। क्योंकि प्रदेश की अन्य यूनिवर्सिटी ने भी इसी स्कीम में निवेश कर रखा है। बाकी, सारे आरोप निराधार हैं।

-प्रो। अनिल शुक्ला, वीसी, आरयू