- इस बार प्राइवेट स्टूडेंट्स के सेंटर्स डबल से भी ज्यादा हुए

- ज्यादा प्राइवेट फॉर्म भराए जाने की संभावना

BAREILLY: एग्जाम व्यवस्था को सुधारने की बजाय आरयू अपनी झोली भरने में लगा हुआ है। प्राइवेट स्टूडेंट्स की वजह से आरयू का पूरा एग्जाम मैनेजमेंट चरमरा जाता है। बावजूद इसके आरयू ने इनकी संख्या लिमिट करने की बजाय इनके सेंटर्स में बेतहाशा इजाफा कर दिया है। प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए इस बार सेंटर्स की संख्या डबल से भी ज्यादा हो गई है। ऐसे में इस बार प्राइवेट स्टूडेंट्स के फॉर्म पिछली बार से भी ज्यादा भरे जाने की संभावना बढ़ गई है। आरयू ने कॉलेजेज पर भी छोड़ दिया है कि वे अपने हिसाब से कितने भी स्टूडेंट्स का फॉर्म वैरीफाई कर सकते हैं।

फ्क् से बढ़कर हुए 80

इस बार प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम सेंटर्स की संख्या फ्क् से बढ़ाकर 80 कर दी गई है। बरेली में भी कई नए सेंटर्स बनाए गए हैं। इग्नू और राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी की व्यवस्था होने के बावजूद भी आरयू अपने स्तर से प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए एग्जाम कंडक्ट कराता है। नॉन प्रैक्टिकल वाले सब्जेक्ट्स में कोई भी स्टूडेंट प्राइवेट स्टूडेंट के रूप में फॉर्म भर सकता है। आरयू ने प्राइवेट स्टूडेंट्स के लिए सेंटर्स इनवाइट किए थे। जिसके जवाब में अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर वाले कॉलेजेज के आवेदन नहीं आए। वे आरयू के बार-बार मनुहार करने के बावजूद सेंटर बनने के लिए राजी नहीं हुए। आरयू को मजबूरन दोयम दर्जे के कॉलेजेज को सेंटर बनाना पड़ा। जो भी प्राइवेट फॉर्म भरता है वह ऑनलाइन इन सेंटर्स को चूज कर सकता है।

कमाई का मोटा जरिया

प्राइवेट स्टूडेंट्स न केवल आरयू बल्कि प्राइवेट कॉलेजेज के लिए भी कमाई का मोटा जरिया हैं। आरयू इन स्टूडेंट्स से भी प्रोसेसिंग फीस, एग्जाम फीस, वाइवा फीस समेत अन्य चार्ज वसूलता है जिनका अलग से जिक्र नहीं होता। वहीं कॉलेजेज इन फॉर्म को वैरीफाई करने और फॉवर्डिग करने के लिए भी स्टूडेंट्स से फॉरवर्डिग चार्ज वसूलते हैं। जो क्भ्0 से फ्00 रुपए प्रति छात्र हो गई है। ऐसे में एक प्राइवेट स्टूडेंट से दोनों यूनिवर्सिटी और कॉलेज की कमाई होती है। इसी कमाई के चलते आरयू इस व्यवस्था को बंद नहीं करना चाहता। साथ ना ही लगाम लगाना चाहता है। कमाई का ही चक्कर है कि दोयम दर्जे के कॉलेजेज भी सेंटर बनने के लिए तैयार हो गए।

मिस मैनेजमेंट के बड़े कारण हैं प्राइवेट स्टूडेंट्स

एग्जाम में मिस मैनेजमेंट का एक बड़ा कारण प्राइवेट स्टूडेंट्स को माना जाता है। मेन एग्जाम में करीब डेढ़ से दो लाख स्टूडेंट्स की संख्या प्राइवेट की होती है। इस बार यह संख्या और बढ़ने वाली है। इनकी वजह से कॉलेजेज में एग्जाम कंडक्ट कराने में काफी प्रॉब्लम होती है। क्वेश्चन पेपर्स हमेशा ही शॉर्ट हो जाते हैं। एग्जाम के दिनों तक इनके एडमिट कार्ड बांटे जाते हैं। यहां तक कि इन्हें बैठाने की व्यवस्था इंटर कॉलेजेज में भी करनी होती है। कॉलेज कैंपस के सभी कोने फुल हो जाते हैं। वहीं आरयू के रजिस्ट्रार एके सिंह का कहना है कि नए सेंटर्स बनने से पहले जो कॉलेज थे उनके उपर स्टूडेंट्स का भार काफी कम हो जाएगा। नए सेंटर्स बनने से स्टूडेंट्स शिफ्ट हो जाएंगे और एग्जाम कंडक्ट कराने में आसानी हो जाएगी।