रेलवे रोड नाले से तंग गलियों में होते हुए जब अब पश्चिम की ओर मुड़ते हैं तो रौनकपुरा नाम की बस्ती आ जाती है। यहां पिछले पैंतीस सालों से खड़ी जर्जर इमारत 80 परिवारों के लिए मौत का सामान बनी हुई है। सात मार्च को ही यहां बिल्डिंग का हिस्सा गिर गया था, जिसमें दो लोग घायल हो गए थे। नगर निगम में काम करने वाले फोर्थ क्लास कर्मचारियों को पैंतीस साल पूर्व रौनकपुरा स्थित यह इमारत रहने के लिए दी गई थी। निगम की इस तीन मंजिला इमारत में सौ से अधिक क्वार्टर हैं, जिनमें अस्सी सफाई कर्मियों के परिवार रहते हैं।

जर्जर हो चुकी इमारत

पैंतीस साल पूर्व सफाई कर्मचारियों को अलॉट किए गए क्वार्टरों वाली यह इमारत पिछले पांच सालों से जर्जर हालत में पहुंच गई है। कर्मचारियों ने इसकी समस्या से निगम प्रमुख को अवगत कराया, लेकिन स्थिति जस की तस रही। आज जबकि इस यह पूरी इमारत अंतिम सांसे गिन रही है। ऐसे में उसमें रह रहे कर्मचारियों के परिजनों की जिंदगी पर भी खतरे के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं।

सवाल पांच सौ लोगों की जिंदगी का

रौनकपुरा अठ्ठारह क्वार्टर से मशहूर इस इमारत में 80 कर्मचारियों के लगभग 500 अपने रहते हैं। नगर निगम की इस इमारत ने पांच सौ लोगों की जिंदगियों पर सवालियां निशान लगा दिया है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि शहर के नीति नियंताओं को इन गरीबों की जिंदगी की न तो कोई सुध है और न ही कोई फिक्र।