डॉक्टरों की कमी दूर करने की नीति

स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि यह फैसला गांवों में डाक्टरों की कमी को दूर करने की सरकार की नीति के तहत किया गया है. इसके मुताबिक एमबीबीएस डाक्टरों को स्नातकोत्तर (पीजी) पाठ्यक्रम में तभी दाखिला मिलेगा, जब वे एक साल गांवों में काम कर चुके होंगे. गांवों में उन्हें सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में काम करना होगा.

छात्र चाहते हैं नियम बदले

इस फैसले के खिलाफ एम्स सहित राजधानी दिल्ली के कई मेडिकल कालेजों के छात्रों ने मंत्रालय के अधिकारियों से भेंट की. छात्रों का कहना है कि इस नियम को बदला जाए और इसे डाक्टरों की इच्छा पर छोड़ दिया जाए. साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि संबंधित राज्य सरकार गांवों में काम करने वाले डाक्टरों को पूरी सुरक्षा मुहैया करवाएगी. इसी तरह समय-समय पर पीएचसी की जांच एक स्वतंत्र पैनल से करवाई जाए.

National News inextlive from India News Desk