डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Russia Ukraine Crisis : रुस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। ग्रहों के अनुसार वर्तमान समय में मंगल और शनि की युति होने से रुस यूक्रेन भयावह युद्ध से गुजर रहे है। मंगल उच्च राशि में प्रवेश कर रहा है जहां शनि अपनी राशि में मजबूत स्थिति में है। ऐसी स्थिति में भयंकर युद्ध की विभीषिका बनती है। वर्तमान गोचर के अनुसार फरवरी के अन्तिम सप्ताह से मंगल धनु राशि से कुंभ राशि की तरफ प्रवेश करने लगा। शनि अपने घर में विराजमान था। मंगल का उच्च राशि में प्रवेश मंगल को अत्यधिक मजबूत स्थिति में पहुंचाता है। मंगल साहस क्रोध,लड़ाई-झगड़े एवं वर्चस्व की होड़ से युक्त है। मंगल शनि दोनों क्रूर ग्रह माने जाते है। दोनों की युति अत्यधिक विषमकारी है। इन्हीं दोनों ग्रहों के प्रभाव से रुस यूक्रेन में युद्ध की स्थिति बनी है।

शनि और मंगल दोनों स्वाभिमानी

शनि और मंगल दोनों बड़े ग्रह है। दोनों झुकने वाले ग्रह नहीं है। दोनों स्वाभिमानी है। दोनों अपने वर्चस्व को बनाये रखना चाहते है। इन्हीं दोनों ग्रहों से प्रभावित होकर रुस एवं यूक्रेन झुकना नहीं चाहते है। वर्चस्व की लड़ाई से दोनों देशों के बीच विनाशकारी स्थिति बन गई है। अभी शुक्र भी इस राशि में है जिसके कारण आपसी समझौते आदि का दौर चलता रहेगा। बुध भी इसी राशि में है यह भी वार्तालाप समझौते वाला ग्रह है। लेकिन 07 मार्च को बुध कुंभ राशि में चला जायेगा। ऐसी स्थिति में समझौते न मानने की अकड़ के कारण दोनों देशों के बीच बड़े युद्ध की स्थिति बन सकती है। शुक्र के प्रभाव के कारण विश्व के कई देश दोनों देश के पक्ष में खड़े हो सकते है। शुक्र 31 मार्च तक इसी राशि में विराजमान रहेगा जिसके चलते समझौते आदि की स्थितियां बनी रहेगी।

मंगल के आगे बढ़ने से मिलेगी राहत

विश्व के कई देश दोनों देशों को समझाने युद्ध न लड़ने आपस में शांति से समझौते करने जैसे विचार रख सकते है। मार्च के प्रथम सप्ताह के बाद बुध इस राशि को छोड़कर आगे बढ़ जायेगा। आपसी समझौते की स्थिति न मानते हुए दोनों देश भीषण युद्ध की विभीषिका में पहुंच सकते है। परमाणु युद्ध जैसी विभीषिका विश्व को देखनी पड़ सकती है। थोड़ी-सी राहत यह है कि शुक्र अभी इसी राशि में 31 मार्च तक रहेगा। जो दोनों देशों के बीच समझौते आदि के द्वारा आपसी सुलह का प्रयास करवाता रहेगा।31 मार्च के बाद शुक्र भी राशि से हट जायेगा।जिससे दोनों देशों की बीच भयावह स्थिति हो सकती है। राहत की बात यह है कि मंगल भी धीरे-धीरे इस राशि से आगे बढ़ने लगेगा और कमजोर होने लगेगा ऐसी स्थिति में दोनों देश समझौते पर आने लगेंगे।

परमाणु बम का खतरा भी टल जायेगा

वहीं 07 अप्रैल को मंगल पूरी तरह इस राशि को छोड़ देगा और 15 अप्रैल आते-आते कमजोर हो जायेगा। दोनों देशों के बीच शांति का दौर चलने लगेगा। तेजी से दोनों में आपसी समझौते विकसित करने लगेगें। युद्ध से स्थितियां दूर होने लगेगीं। विश्व के देश दोनों देशों के बीच आपसी सहमत विकसित कराने और शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकते है। विश्व पर मंडराने वाला परमाणु बम का खतरा भी टल जायेगा। इस बीच विश्व को दोनों देशों के पक्ष में सूझ-बूझ से जुड़ने एवं शांति समझौता कराने की भूमिका में अहम योगदान देना चाहिए।

(यह लेखक के निजी विचार है।)