सबरीमाला (पीटीआई)। कंदरारू महेश मोहनारु ने शाम 5 बजे मंदिर का गर्भगृह खोला और पूजा की, बड़ी संख्या में दर्शनों के लिए श्रद्धालु केरल, तमिलनाडु, और अन्य पड़ोसी राज्यों से केरल के पत्तानमित्ता जिले में पश्चिम घाट के अभ्यारण्य में स्थित पवित्र तीर्थस्थल पहुंचे हुए थे।

पाद पूजा के बाद चढ़ीं 18 पवित्र सीढि़यां

भक्तों, जिन्हें दोहपर 2 बजे से पहाड़ी पर चढ़ने की अनुमति थी, मंदिर की पवित्र 18 सीढ़ियां पुजारियों के 'पाद पूजा' करने के बाद 'इरुमुदिकेतु' (पवित्र थैला जिसमें भगवान का प्रसाद होता है) के साथ चढ़ीं। नए पुजारी - ए के सुधीर नंबूदरी (सबरीमला) और एम एस प्रमेश्वरन नंबूदरी (मलिकपुरम) ने बाद में कार्यभार संभाला।

पिछले वर्ष हुए विरोध प्रदर्शन

पिछले वर्ष राज्य में सत्तारुढ़ एलडीएफ सरकार के सुप्रीम कोर्ट का मंदिर में प्रार्थना करने के लिए सभी आयु वर्ग की महिलाओं को अनुमति देने के 28 सितंबर, 2018 के फैसले को लागू कराने के निर्णय के चलते राज्य व मंदिर परिसर में दक्षिणपंथी संगठनों व बीजेपी कार्यकर्ताओं की ओर से विरोध प्रदर्शन हुए थे।

देवासम मंत्री ने साफ किया सरकार का रुख

हालांकि, इस साल, भले ही शीर्ष अदालत ने विभिन्न याचिकाओं को सुनवाई के लिए बड़ी पीठ के हवाले करते समय मंदिर में महिलआों के प्रवेश के अपने पूर्व के फैसले पर स्टे नहीं दिया है, सरकार सावधानी बरत रही है। देवासम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने साफ किया है कि सबरीमाला एक्टिविस्टों के लिए अपना एक्टिविज्म दिखाने की जगह नहीं है और सरकार ऐसी महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं करेगी जो पब्लिसिटी के लिए मंदिर आना चाहती हैं। जो मंदिर में प्रवेश करना चाहती हैं वे कोर्ट आर्डर लेकर आ सकती हैं। बोर्ड ने भक्तों को अधिकतम सुविधाएं प्रदान करने के लिए व्यवस्था की है।

10 महिलओं को वापस भेजा 

पम्पा बेस कैंप से पहले पुलिस ने विजयवाड़ा के एक समूह के पहचान पत्रों की जांच की और 10 युवा महिलाओं को वापस भेज दिया। पुलिस ने बताया कि उनके पहचान पत्रों की जांच की गई और यह पाया गया कि वे निषेध आयु वर्ग में हैं और उन्हें सबरीमाला की स्थिति से अवगत कराया गया। इसके बाद वह आगे नहीं गईं।

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