चंडीगढ़ (एएनआई)। तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सरहदों पर किसानों का आंदोलन लगातार 14 दिनों से जारी है और यह अब और जोर पकड़ता नजर आ रहा है क्याेंकि सरकार और किसानों के बीच बात नही बन रही है। किसानों ने बुधवार को भी सरकार के संशोधन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। इसके पहले किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच पांच दाैर की वार्ता हुई लेकिन वह भी विफल रही। शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने बुधवार को किसान कानूनों में बदलाव के लिए सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्तावों को खारिज कर दिया और कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन को तीन विवादास्पद कानूनों को बिना शर्त वापस लेना चाहिए और किसानों की अन्य सभी मांगों को स्वीकार करना चाहिए।
इन प्रस्तावों में कुछ भी नया नहीं
एसएडी नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने एक बयान में कहा कि इन प्रस्तावों में कुछ भी नया नहीं था। ये वास्तव में वही प्रस्ताव हैं जिन्हें शिरोमणि अकाली दल ने सरकार और एनडीए को हमारे किसानों के साथ खड़े होने से पहले खारिज कर दिया था। यह बहुत दुखद है कि देश के अन्नदाता किसान अपने परिवारों के साथ क्रूरता और ठंड से जूझ रहे हैं। उन्होंने सरकार पर किसानों की बात न सुनने और उनकी मांगों को अयोग्य बताने के लिए जिद्दी होने का आरोप लगाया है। सरकार का कहना है कि ये अधिनियम किसानों के कल्याण के लिए हैं। बयान में कहा गया है कि अगर किसान ऐसा नहीं चाहते हैं तो उन पर जोर देना अनुचित, गलत और अलोकतांत्रिक है। पार्टी किसानों के साथ हर चीज में और हर तरह से साथ है।

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