फ्लैट-मकान खरीदने से पहले लोगों को मालूम होने चाहिए यह जरूरी जानकारी

BAREILLY:

अपना आशियाना बनाने की ख्वाहिश में अक्सर लोग छूट व सुविधा वाली कई लुभावनी हाऊसिंग स्कीम का हिस्सा बन जाते हैं। बिना ज्यादा जानकारी के ऐसी हाऊसिंग स्कीम में निवेश कर लोगों का कई बार पैसा फंस जाता है। न तो उन्हें समय पर फ्लैट-मकान का पजेशन मिलता है। न ही बताई गई सुविधाएं ही बाद में मिलती हैं। ऐसे केसेज में लोग खुद को ठगा महसूस करते हैं। शिकायत कहां करें, किससे करें, शिकायत करने से दोषी डेवलेपर पर क्या कार्रवाई होगी, ऐसी तमाम अहम जानकारियां लोगों को अक्सर नहीं मालूम होती। साड्डा हक की इस कड़ी में जानिए घर खरीदने से पहले बरती जाने वाली सामान्य सावधानियां, जिससे अपना आशियाना का सपना किसी धोखे से चकनाचूर न हो।

बिना रजिस्ट्रेशन बुकिंग नहीं

हाऊसिंग स्कीम में लोगों को इनवाइट करने वाले डेवलेपर्स व प्रापर्टी डीलर्स के लिए कुछ खास नियमों को फॉलो करना बेहद जरूरी है। डेवलपर्स बिना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट हासिल किए प्रोजेक्ट की बुकिंग शुरू नहीं करेगी। न ही ऐसा करने से पहले अपने प्रोजेक्ट के एडवर्टिजमेंट और प्रोस्पेक्ट्स ही लोगों में जारी कर सकेगा।

डेवलेपर अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करने के बाद ही ग्राहकों को हाऊसिंग स्कीम में इनवाइट करेगा।

इसी तरह फ्लैट व मकान की बिक्री के लिए लिखित समझौता किए बिना कोई डेवलपर किसी भी ग्राहक से कोई एडवांस भुगतान भी नहीं ले सकता। ऐसा करने पर ग्राहक आपत्ति जता सकता है और डेवलेपर पर इस शर्त को न मानने के लिए दबाव भी बना सकता है। डेवलपर को अपने प्रोजेक्ट के कारपेट एरिया की सही जानकारी भी देनी होगी। जिसमें कॉमन एरिया शामिल नहीं होगा।

वेबसाइट पर देख्ो लेआउट

किसी डेवलेपर से फ्लैट या मकान लेने से पहले उसके प्रोजेक्ट को संबंधित शहर की डेवलेपमेंट अथॉरिटी की वेबसाइट पर सर्च करना चाहिए। दरअसल, हर डेवलपर को अपने प्रोजेक्ट का सारा ब्योरा, हाऊसिंग प्लान और लेआउट को डेवलेपमेंट अथॉरिटी से पास कराना होता है जिसके बाद अथॉरिटी की वेबसाइट पर डेवलेपर को हाऊसिंग प्लान और लेआउट का डिजायन देना होगा। एक बार अप्रूवल के बाद इस लेआउट में बदलाव नहीं किया जा सकेगा। इससे ग्राहक को दिखाए जाने वाले लेआउट के मुताबिक ही मकान-फ्लैट दिया जाना सुनिश्चित होता है। समय पर फ्लैट हैंडओवर नहीं करने पर भी डेवलपर पर लगाम सकी जा सकेगी। इस स्थिति में डेवलेपर को ब्याज सहित सारा पैसा लौटाना होगा या उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

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