सज्जन कुमार पर 1984 में सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का आरोप है. कांग्रेस नेता पर मर्डर, डकैती, दंगा, हिंसा भड़काने और पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था. मामला दिल्ली कैंट एरिया का है.

कुमार के बरी किए जाने से सिख संगठनों में आक्रोश है. डिस्ट्रिक्ट जज जेआर आर्यन पर फैसले के ठीक बाद जूता फेंका गया. अन्य पांच आरोपियों को दंगों का दोषी पाया गया है. डिस्ट्रिक्ट जज ने 16 अप्रेल को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था.

यह दिल्ली से कांग्रेस के पूर्व सांसद कुमार पर दर्ज तीन मामलों में से एक है. दंगों में अपनी भूमिका के लिए जिन पांच अन्य लोगों पर मुकदमा चल रहा है उनमें बलवान खोखर, किशन खोखर, महेन्दर यादव, गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल हैं. इन सभी पर भीड़ को सिखों की हत्या के लिए उकसाने का आरोप है.

सज्जन कुमार पर 2005 में नानावती कमीशन की सिफारिश पर मामला दर्ज किया गया था. सीबीआई ने उनके और अन्य आरोपियों के खिलाफ जनवरी 2010 में दो चार्जशीट फाइल की थीं.

बाहरी दिल्ली से पूर्व सांसद सज्जन कुमार पर दंगों के दौरान सुल्तानपुरी में भी भीड़ को उकसाने का आरोप है. यहां दंगों में छह लोग मारे गए थे. इस मामले में कांग्रेस नेता और दो अन्य आरोपियों वेद प्रकाश व ब्रह्मानंद गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट के आरोप तय करने के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट की शरण ली थी.

इस मामले में अगली सुनवाई 15 मई को होनी है.   

लोअर कोर्ट ने 2010 में कुमार को दंगों और मर्डर का ही नहीं बल्कि दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने के आरोप तय किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में इस मामले में आरोप खारिज किए जाने की संभावना से इनकार करते हुए सीबीआई की जांच में देरी पर खिचाई भी की थी.

इस महीने दिल्ली की एक कोर्ट ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ सिख विरोधी दंगों में शामिल होने का मामला फिर खोले जाने का आदेश दिया था.    

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