कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Sakat Chauth 2022 : सकट चौथ मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में माघ महीने के दौरान कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार सकट चाैथ 21 जनवरी दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है। सकट चौथ देवी सकट को समर्पित है। यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की भलाई के लिए करती हैं। कृष्ण पक्ष चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित दिन है। प्रत्येक कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसलिए सकट चौथ पर, देवी सकट की पूजा भगवान गणेश के साथ सुख और समृद्धि के लिए की जाती है। यह व्रत बिना पानी पिए भी रखा जाता है।

सकट को इन नामों से भी पुकारते हैं

इसे संकट चौथ, तिल-कुटा चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी और माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।सकट चतुर्थी का महत्व देवी सकट के दयालु स्वभाव से लिया गया है। राजस्थान के सकत गांव में देवी सकट को समर्पित एक मंदिर है। यह सकट गांव में स्थित है जो अलवर से लगभग 60 किमी और जयपुर से 150 किमी दूर है। कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने को लेकर कई अलग-अलग कथाएं कही जाती हैं। हालांकि इसमें गणेश जी की परिक्रमा वाली कथा काफी प्रचलित है।

गणेश जी की यह कथा काफी प्रचलित

कहते हैं कि जब गणेश जी व कार्तिकेय समेत सभी देवताओं में यह बहस छिड़ गई कि ब्रह्माण्ड में सर्वश्रेष्ठ देव कौन है तो भगवान शिव ने उनकी परीक्षा ली। उन्हें पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने के लिए कहा गया था और जो कोई भी इसे पहले पूरा करेगा, उसे अवसर दिया जाएगा। कार्तिकेय ऐसा करने के लिए अपने मोर (मोर) पर बैठे, जबकि भगवान गणेश ने अपने वाहन 'चूहा' का सहारा लिया और अपने माता-पिता, भगवान शिव और देवी पार्वती की परिक्रमा की। इस दाैरान तब भगवान शिव ने कहा कि जो कोई भी चतुर्थी पर आपकी पूजा करेगा, उसे सभी भौतिक, भौतिक और दिव्य सुख प्राप्त होंगे। उनके 'संकट' (समस्याएं) दूर हो जाएंगे।