JAMSHEDPURस्टील सिटी निवासी संदीप तोलिया ने एवरेस्ट पर फतह कर शहर के साथ ही राज्य का नाम रोशन किया है। संदीप ने टीम में सबसे कम समय में एवरेस्ट की चोटी पर अपना नाम लिख दिया। वहीं उड़ीसा की स्वर्णलता ने एवरेस्ट फतह कर राज्य की पहली एवरेस्ट फतह करने वाली महिला बनी तो वहीं उत्तरकाशी की पूनम ने एवरेस्ट पर कदम रख इतिहास रच दिया।


रविवार को 42 वर्षीय संदीप सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर, स्वर्णलता ने आठ बजकर दस मिनट पर वहीं पूनम ने नौ बजकर तीस मिनट पर अभियान पूरा किया। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) का यह दल 25 फरवरी को शहर से एवरेस्ट अभियान के लिए निकला था। 19 अप्रैल को तीनों ने एवरेस्ट माउंट लोबुचे की फतह कर अपना जज्बा दिखाया था। अभियान दल ने एवरेस्ट बेस कैंप से शनिवार रात निकला था। टीएसएएफ की चीफ बछेंद्री पाल ने अभियान की सफलता के लिए टाटा स्टील को धन्यवाद दिया है। उन्होंने बताया कि तीनों ही एवरेस्ट फतह की तैयारियों के लिए तैयार थे, लेकिन बछेंद्री ने समझाया कि पर्वतों के समक्ष हर कोई बौना ही होता है। अभियान दल 31 मई तक जमशेदपुर पहुंचेगा।


रात भर नहीं सोई पूनम

कदमा के ईसीसी फ्लैट निवासी संदीप की पत्‌नी पूनम पति की चिंता में रात भर नहीं सोई। वह रात भर पति की सलामती की प्रार्थना करती रही। बता दें कि संदीप टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन में इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत हैं। सुबह जैसे ही पूनम को फतह मिली उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। पूनम की आाखों से आंसू निकल पड़े। उन्होंने बताया कि फतह के बाद उनकी भगवान से दुआ कि पति और टीम सुरक्षित बेस कैंप तक पहुंच जाएं। संदीप की पांच वर्षीय पुत्री विदुला तोलिया पिता की कामयाबी से खुश है। पूनम बताती हैं, विदुला को पापा के ट्रैकिंग पर जाने की जानकारी है। उसे पता है कि एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी हैं। वहीं संदीप की मां बेटे की सफलता से गदगद है बस सभी को तीनों के शहर आने का इंतजार है।


स्वर्णलता के घर लोगों का लगा तांता

ओडिशा के जाजपुर के कुबिरागरिया पंचायत के जगाडीहा की रहने वाली स्वर्णलता गांव में सूचना के बाद गांव के लोगों का तांता लगा गया। जहां देर रात तक स्वर्णलता के घर में बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। स्वर्णलता के चाचा लखींद्र दलाई ने बताया कि अभी सैकड़ों लोग हमारे घर के बारह बैठे है। स्वर्णलता के पिता महेश दलाई मजदूर हैं, वहीं माता प्रमिला दलाई गृहिणी हैं। लखींद्र ने बताया कि शुरू से ही बेटी खेलों में कुछ कर गुजरने की चाहत रखती थी। टीएसएएफ के सहयोग से सपना सच हो गया। सभी को स्वर्णलता के गांव आने का ही इंतजार है। बता दें कि जिस गांव में लोग बेटियों को घर से बाहर नहीं निकलने देते है वहां की बेटी ने यह कारनामा कर दिया दिखाया है। स्वर्णलता ने फोन पर बताया कि बछेंद्री मैडम ने हौसला बढ़ाया और यहां तक पहुंचाया। स्वर्णलता जाजपुर कॉलेज में स्नातक की छात्रा हैं।