बैकस्टेज संस्था की ओर से आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में बोले नाट्यकर्मी

ALLAHABAD: संघर्षशील वर्तमान की बुनियाद पर इलाहाबाद रंगमंच के बेहतर भविष्य का निर्माण होगा। लेकिन आजकल इलाहाबाद के मंच पर संवादहीनता की स्थिति है। इसके लिए जरूरी है कि नई पीढ़ी सचेत तरीके से खुद को संस्कारित करे। इसके अलावा स्थानीय रंगमंच को भी महत्तवपूर्ण सवालों से टकराना होगा। ये बातें महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में च्इलाहाबाद का रंगमंच: वर्तमान एवं भविष्यच् विषय पर बैकस्टेज संस्था की ओर से आयोजित गोष्ठी में नाट्यकर्मियों ने कही।

पुरनियों का पलायन समस्या की जड़

इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी एवं चित्रकार शांति स्वरूप प्रधान ने कहा कि यहां की पुरानी पीढ़ी ने नई पीढ़ी को जिम्मेदारी के साथ नहीं समझा। नाट्ककार एवं आलोचक डॉ। अनुपम आनंद ने कहा कि नवोदित रंगकर्मियों की गलतफहमियों को दूर करना पुराने रंगकर्मियों की जिम्मेदारी है। अतुल यदुवंशी ने कहा कि इलाहाबाद का समाज अपनी ही चीजों की अनदेखी करता रहा है। वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल रंजन भौमिक ने कहा कि वरिष्ठ लोगों का पलायन कर जाना नुकसानदेह साबित हुआ है। इस दौरान कवि श्लेष गौतम, नाट्य निर्देशिका सुषमा शर्मा, रंगकर्मी शैलेष श्रीवास्तव, अजित बहादुर, राजकुमार रजक, वरिष्ठ कवि अजामिल आदि ने भी अपनी बातें रखीं।