पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है। पर्व निर्णय के लिए चंद्रोदय कालिक चतुर्थी को आधार माना जाता है। इस बार संकष्टी चतुर्थी(सकट)दिनाँक 31 जनवरी 2021,रविवार को मनाई जाएगी। दिनाँक 31जनवरी 2021 को चतुर्थी तिथि रात्रि 8:25 बजे के बाद लगेगी इस तिथि में चंद्रोदय रात्रि 8:42 बजे के बाद होगा।

क्यों रखना चाहिए व्रत
भविष्य पुराण के अनुसार जब मनुष्य भारी संकटों से घिरा हो अथवा निकट भविष्य में अनिष्ट की आशंका हो तो उसे चतुर्थी व्रत करना चाहिए।इससे लोक परलोक दोनों में ही सुख मिलता है।इस व्रत के करने से धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।मनुष्य वांछित फल प्राप्त कर अंत मे गणपति को पा जाता है।यहां तक कि इस व्रत के करने से विद्यार्थियों को विद्या और रोगियों को आरोग्य की प्राप्ति होती है।

पूजन विधान
संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को किया जाता है लेकिन माघ,श्रावण, मार्गशीर्ष और भाद्रपद में इस व्रत को करने का विशेष माहात्म्य है।व्रती इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर दाहिने हाथ में पुष्प,अक्षत,गंध और जल लेकर संकल्प करें कि अमुक मास,अमुक पक्ष,अमुक तिथि में विद्या,धन,पुत्र, पौत्र प्राप्ति,समस्त रोगों से मुक्ति और समस्त संकटों से छुटकारे के लिए श्रीगणेश जी की प्रसन्नता के लिए मैं संकष्ट चतुर्थी का व्रत करता हूँ।

पूजन सांयकाल में करें
इस संकल्प के बाद दिन भर मौन अथवा उपवास रखकर व्रती रहें फिर सामर्थ्यानुसार गणेशजी की मूर्ति को कोरे कलश में जल भरकर,मुहँ बाँधकर स्थापित करें।गजानन महाराज का चिंतन करते हुए उनका आवाह्न करें फिर गणेशजी का धूप-दीप,गंध,पुष्प,अक्षत,रोली आदि से षोडशोपचार पूजन सांयकाल में करें।पूजा के अंत मे 21 लड्डुओं का भोज लगाएं।इसमें से 5 गणपति के सम्मुख भेंट कर शेष ब्राह्मणों और भक्तों को बांट दें। साथ मे दक्षिणां भी दें और बोलें रात में चंद्रोदय होने पर यथाविधि चंद्रमा का पूजन कर छीरसागर आदि मंत्रों से अर्ध्यदान करें फिर गणपति को अर्ध्य देकर नमस्कार करें और कहें कि हे देव! सब संकटों का हरण करें और मेरे अर्ध्यदान को स्वीकार करें। उल्लेखनीय है कि भादों मास की शुक्ल चतुर्थी को चंद्रदर्शन निषेध किया गया है, क्योंकि लोकविश्वास है कि इस चतुर्थी को चंद्रदर्शन से झूठा कलंक लगता है।