फिल्म : सत्यप्रेम की कथा
कलाकार : कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, गजराज राव, सुप्रिया पाठक, अनुप्रिया पटेल, सिद्धार्थ रंदेरिया
निर्देशक : समीर विध्वंस
रेटिंग : 3.5 स्टार

एक जमाने में छोटी सी बात पर हल्की फुल्की फिल्में बनती थीं। फिर दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, जैसी नाच गाने से भरपूर रंग बिरंगी फिल्में बनने लगीं। सत्य प्रेम की कथा इन दोनों का मिश्रण है। इसकी कुछ बातें भरपूर एंटरटेन करती हैं, तो कुछ चीजों में लगता है कि बैलेंस बिगड़ गया बाबा। पढ़ें पूरा रिव्यू।

क्या है फिल्म की कहानी?
सत्तू यानी कार्तिक आर्यन को कोई लडक़ी भाव नहीं देती। यहां तक कि उसकी अपनी मां और बहन भी उसे निकम्मा और नकारा मानते हैं। सत्तू के एकमात्र दोस्त उसके पिता यानी गजराज राव हैं। फिर अचानक से ऐसा होता है कि सत्यप्रेम को शहर की सबसे हॉट और अमीर लडक़ी मिल जाती है। लडक़ी के मां-बाप खुद रिश्ता लेकर आते हैं। अब ऐसा कुछ होता है, तो दाल में कुछ काला जरूर होता है। हल्की फुल्की फिल्म में समाज के ऐसे ही कुछ काले दाने हैं, जो कहानी को आगे बढ़ाते हैं।

क्या अच्छा है फिल्म में?
फिल्म में गजराज राव और कार्तिक आर्यन की केमिस्ट्री शानदार है। दोनों को साथ देखकर मजा आता है। सुप्रिया पाठक और बाकी एक्टर अपना काम सही से कर गए हैं। गुजराती परिवेश रंगीन है और सिनेमेटोग्राफी खूबसूरत।

क्या अच्छा नहीं है?
कियारा आडवाणी कथा के किरदार को पकड़ नहीं पाई हैं। जब हीरो और उसके फादर की केमेस्ट्री ज्यादा अच्छी लगने लगे, तो समझ जाना चाहिए कि प्रेम कहानी में कुछ तो गड़बड़ है। फिल्म की दूसरी कमी इसके गाने हैं। दो घंटे की फिल्म जिन गानों के चलते ढाई घंटे की बन जाती है, उनमें से ज्यादातर कहानी को धीमा करते हैं। इसके अलावा गानों की वजह से लंबी हुई फिल्म में क्लाइमेक्स अधूरा छूट जाता है। इन गानों में भी पसूरी सुनने के बाद यही लगता है कि असल गाने का रीमेक नहीं बनाना था।

फाइनल वर्डिक्ट
छुट्टियां खत्म होने से पहले अपने मूड को रिफ्रेश करने के लिए ये लाइट मोड फिल्म देखी जा सकती है। हां, अगर ये सोचेंगे कि फिल्म इस फिल्म में इतने सीरियस टॉपिक को सीरियसली हैंडल नहीं किया गया है बॉस। इसलिए टेंशन नॉट, वीकेंड इतना भी बुरा नहीं जाएगा।

Review by : अनिमेष मुखर्जी

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