सीरिया में जारी टकराव के समाधान के लिए पाकिस्तान सरकार ने आश्चर्यजनक रूप से वहां अंतरिम सरकार की मांग की है, जो उसके अब तक के रुख़ से एकदम अलग है.

सरकार ने हाल में घोषणा की है कि उसे सऊदी अरब से 1.5 अरब डॉलर का अनुदान मिला है. इसके बाद मीडिया में क्षेत्रीय तटस्थता और राष्ट्रीय हितों को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है.

संयुक्त घोषणा

जनवरी के पहले सप्ताह में सऊदी अरब के विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा के साथ ही पाकिस्तान की विदेश नीति में बदलाव की अटकलें शुरू हो गईं थी हालांकि वास्तविक बदलाव काफ़ी बाद में देखने को मिला.

सऊदी शाही राजकुमार सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल-सौद की आधिकारिक यात्रा के अंत में दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि दोनों पक्ष सीरिया में जारी टकराव का जल्द समाधान तलाशने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं.

इस बयान में कहा गया, "इस सिलसिले में, दोनों पक्षों से एक अंतरिम सरकार के गठन का आह्वान करते हैं, जिसके पास पूरी कार्यपालक शक्तियां हों."

इससे पहले सीरिया संकट पर इस्लामाबाद का रुख़ तटस्थ रहा है.

हथियार ख़रीद की अटकलें

सऊदी राजकुमार की यात्रा के दौरान इस बात की अटकलें भी लगीं कि सऊदी अरब सीरिया के विद्रोहियों के लिए पाकिस्तान से हथियार ख़रीद रहा है.

गल्फ़ न्यूज़ ने सीरिया के मुख्य विपक्षी नेता अहमद जारबा के हवाले से बताया कि "शक्तिशाली हथियार जल्द ही आने वाले हैं."

दोधारी तलवार पर चल रहा है पाकिस्तान

इसके साथ ही स्थानीय उर्दू अख़बार में बहरीन नेशनल गार्ड के सेवानिवृत्त सैनिकों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन छपा. ये विज्ञापन पाकिस्तानी सेना के नज़दीकी संबंध करने वाले फ़ौजी फ़ाउंडेशन की विदेश रोज़गार सेवा (ओईए) की वेबसाइट पर भी दिखाई दिया.

मीडिया रिपोर्ट में बहरीन के विपक्षी दलों के हवाले से ये भी कहा गया कि बहरीन के नेशनल सुरक्षा गार्ड में करीब आधे सैनिक पाकिस्तान, जार्डन और यमन के सुन्नी हैं.

भर्ती की इस ख़बर से पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने बताया था कि उन्हें एक "मित्र देश" से 1.5 अरब डालर की सहायता मिली है.

अभी आधिकारिक रूप से ये पुष्टि नहीं हुई है कि ये देश कौन सा है लेकिन माना जा रहा है कि ये राशि सऊदी अरब ने ही दी है. इस सहायता से पाकिस्तान की मुद्रा को काफ़ी मज़बूती मिली.

पाकिस्तान की सफ़ाई

पाकिस्तान की सरकार ने इस पर तुरंत सफ़ाई दी. विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने संसद की विदेश मामलों की समिति के बताया कि पाकिस्तान सऊदी अरब और  ईरान के बीच अपने संबंधों में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है.

उन्होंने ये भी बताया कि सऊदी अरब को हथियारों का निर्यात करने का प्रस्ताव तो है लेकिन ये सुनिश्चित किया जाएगा पाकिस्तान में बने हथियारों का इस्तेमाल अरब के संघर्षशील इलाक़ों में न हो.

डान समाचार के मुताबिक़ अज़ीज़ ने समिति को बताया, "सरकार मुस्लिम दुनिया और ख़ासतौर से पाकिस्तान के लिए सीरिया संकट के नतीजों को लेकर सजग है."

मुख्य विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने सरकार की इस दलील को ख़ारिज कर दिया है कि उसे सऊदी अरब से 1.5 अरब डालर तोहफ़े के तौर पर मिले हैं और उसका कहना है कि सरकार सच्चाई को छिपा रही है.

मीडिया में आलोचना

पाकिस्तानी मीडिया में भी इस बात को लेकर सरकार की काफ़ी आलोचना हो रही है. प्रमुख समाचार पत्र डॉन ने हाल में एक संपादकीय में लिखा कि सरकार दुनिया के दूसरे देशों के साथ गठजोड़ के आधार पर अपने बहीखातों को संभाल रही है.

अख़बार का कहना था कि सऊदी अरब ने संकट के समय पाकिस्तान की मदद की है जबकि ईरान पाकिस्तान का पड़ोसी देश है और दोनों के बीच सांस्कृतिक और दोस्ताना संबंध रहे हैं. इसलिए किसी एक की क़ीमत पर दूसरे को ख़ुश नहीं करना चाहिए.

हालांकि, मध्य पूर्व के मौजूदा संकट की बनावट को देखते हुए इस बार हालात अलग हैं. अगर पाकिस्तान किसी भी एक पक्ष का समर्थन करता है तो इससे पाकिस्तान के भीतर सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है और ईरान से लगी उसकी सीमा पर तनाव भी बढ़ सकता है."

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