निगम और प्रशासन की लापरवाही से नही हो रही निगरानी

जागरुकता के लिए 16 से 22 तक सिनेमा हॉल में फिल्म दिखाएगा भूगर्भ जल विभाग

Meerut । लगातार गिरते भूगर्भ जल स्तर को उभारने के लिए भले ही सभी सरकारी विभाग चिंतन और मनन का दिखावा करते हो, लेकिन हकीकत यह है कि शहर में खुलेआम भूमिगत जल का दोहन हो रहा है लेकिन इसको रोकने या निगरानी के लिए प्रशासन स्तर पर कोई विभाग अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार नही है। हालत यह है कि मेरठ भी डार्क जोन में पहुंच चुका है लगातार प्री मानसून भूजल स्तर 0.41 मीटर गिर रहा है लेकिन उसके बावजूद सालभर में एक भी अवैध दोहन करने वाली फर्म या शख्स के खिलाफ कोई एक्शन नही लिया गया है।

खानापूर्ति तक सीमित संरक्षण

भूगर्भ जल स्तर को गिरने से बचाने की जिम्मेदारी केवल भूगर्भ जल विभाग पर है। यह कवायद भी केवल जागरुकता के लिए प्रचार प्रसार तक ही सीमित है। विभाग हर साल केवल भूगर्भ जल स्तर को बचाने के लिए कैंपेंन चलाकर खानापूर्ति कर देते है लेकिन इस खानापूर्ति के बाद साल भर जल स्तर को बढ़ाने या उसका दोहन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही नही होती है।

प्लांटेशन तक सीमित कवायद

दोहन रोकने के लिए मुख्य रुप से नगर निगम और वन विभाग जिम्मेदार हैं लेकिन वन विभाग केवल प्लांटेशन कर खानापूर्ति कर देता है और निगम का अभियान केवल वाटर टैक्स वसूलने तक सीमित है। निगम को यह तक नही पता कि शहर के कितने घरों या फर्मो में सबमर्सिबल से जल का अवैध दोहन हो रहा है। वहीं निगम द्वारा शहर में केवल कुछ मार्गो पर बीच डिवाइडर में पौधरोपण करके जल संरक्षण और हरियाली पर काम किया जा रहा है इसके अलावा निगम की ओर से किसी प्रकार का प्रयास नही है।

बड़ी स्क्रीन से जागरुकता का प्रयास

हर साल की तरह इस साल भी भूगर्भ जल विभाग गिरते जल स्तर को बचाने के लिए जागरुकता कैंपेन का आयोजन करने जा रहा है। 16 से 22 जुलाई तक आयोजित इस जागरुकता कैंपेन में सिनेमा घरों की स्क्रीन पर मूवी शुरु होने से पहले 10 से 15 मिनट की फिल्म दिखाई जाएगी। इस फिल्म में लगातार गिरते भूगर्भ जल स्तर और उससे होने वाले दुष्परिणामों को दिखाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग जागरुक हों। इसके अलावा स्कूलों में कार्यक्रम, रैली आदि आयोजित की जाएगीं।

अवैध रुप से जल दोहन करने वालों के खिलाफ निगम स्तर पर समय समय पर जांच की जाती है। कई बार चेतावनी जारी की गई है। अब अभियान चलाकर अवैध दोहन पर रोक लगाई जाएगी।

- राजेश कुमार, टैक्स प्रभारी

नौचंदी क्षेत्र में बिना मोटर लगाए घरों में पानी नही पहुंचता है। हालत यह है कि घर घर में पानी के मोटर और सबमर्सिबल लगे हुए हैं। निगम के ओवरहेड टैंक को बने सालों हो चुके हैं लेकिन चालू नही किया गया।

- जफर चौधरी

क्षेत्र में हैंडपंप की हालत खराब हैं अधिकतर हैंडपंप खराब हैं। यहां पेयजल के लिए मजबूरी में लोगों को पानी के मोटर लगाने पड़ रहे हैं।

- सोनू

शहर के अधिकतर क्षेत्रों में बिना मोटर या सबमर्सिबल के पानी घरों में दूसरी मंजिल तक नही पहुंचता है। शहर के डेयरियों से लेकर वाटर प्लांट में पानी का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस पर लगाम लगनी चाहिए।

- लोकेश ठाकुर

पानी की बचत और जल स्तर को बढ़ाने के लिए निगम की तरफ से कोई प्रयास नही हो रहा है। केवल आम जनता को जागरुक करने से काम नही चलेगा, सबमर्सिबल पर भी रोक लगनी चाहिए।

- रवि वर्मा

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निगेहबान की नहीं है नजर

-भवनों में नहीं लगाए गए हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

-एमडीए के डेढ़ दर्जन हार्वेस्टिंग सिस्टम में से आधे खराब

मेरठ: शहर के भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम न होने कारण वर्षा का जल सड़कों पर बहकर बर्बाद हो रहा है। मानसून में बारिश का जल नाला-नालियों में बहकर बर्बाद हो रहा है। वर्षा जल के नुकसान के पीछे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का न होना है।

प्रशासन नहीं सजग

एक ओर जहां प्रशासन जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सख्ती से लागू करने की बात करता हैए वहीं, दूसरी ओर प्रशासन और सरकारी विभागों द्वारा ही भूजल बचाओ अभियान के खिल्ली उड़ाई जा रही है। शासन की सख्ती के बाद भी प्रशासन ने सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं और यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए भी गए हैं तो वो मेंटीनेंस के अभाव में दम तोड़ रहे हैं।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को सख्ती से लागू कराने के लिए शासन ने मेरठ विकास प्राधिकरण को रेग्यूलेटरी एजेंसी बनाया है। ग्रुप हाउसिंग को छोड़कर 300 वर्ग मीटर एवं अधिक के क्षेत्रफल के समस्त उपयोगों के भूखंडों में रुफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग कम्प्लसरी है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि एमडीए खुद ही सारी प्लानिंग की धज्जियां उड़ा रहा है।

दफ्तर में खराब पड़ा सिस्टम

एमडीए के दफ्तर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सालों से खराब पड़ा है। खराब सिस्टम जहां अफसरों की लापरवाही का दर्शाता है, वहीं इस बात को भी बता रहा है कि जल बचाने को लेकर रेगुलेटरी एजेंसी कितनी गंभीर है? प्राधिकरण के रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सालों से साफ नहीं किया गया है। जिसके चलते उसमें कूड़ा करकट भर गया है। हालांकि एमडीए अफसर सिस्टम को ठीक होने का दावा करते हैं।

खराब पड़े 16 हार्वेस्टिंग सिस्टम

लाखों खर्च कर अपनी आवासीय योजनाओं में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए थे। इन हार्वेस्टिंग सिस्टम की संख्या 16 है। चौंकाने वाली बात यह कि जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने मौके पर जाकर इन सिस्टम का निरीक्षण किया तो एक दर्जन हार्वेस्टिंग सिस्टम खराब पड़े मिले। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के इन सिस्टम में कूड़ा जमा है। समस्या का सबसे बड़ा कारण यह है कि एमडीए की ओर से न तो इनका मेंटीनेंस कराया जाता है और न ही इनकी रेगुलर सफाई की जाती है। बता दें कि एक सामान्य रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर एक से डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है।

इन योजनाओं में लगे सिस्टम

गंगानगर, शताब्दी नगर, रक्षा पुरम, सैनिक विहार, वेदव्यासपुरी, लोहियानगर, श्रद्धापुरी, मेजर ध्यान चंद नगर आदि।

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-95 फीसदी सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं

-कमिश्नरी और कलक्ट्रेट जैसे दफ्तरों में प्लान पड़ा ठप

-वर्षा जल संरक्षण को गंभीर नहीं सरकारी अफसर

-एमडीए, निगम और आवास विकास जैसे सरकारी विभाग बने बेपरवाह

-एमडीए के योजनाओं में भी नहीं लग रहे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

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शासन के निर्देश पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग को कम्प्लसरी किया जा रहा है। गु्रप हाउसिंग और बड़े निर्माणों को कड़े निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाएं और नियोजन विभाग को जानकारी दें। जल्द ही इस संबंध में अभियान चलाया जाएगा। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की स्थापना के बिना कम्प्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा।

-राजेश कुमार पाण्डेय, उपाध्यक्ष, मेरठ विकास प्राधिकरण

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