- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से पानी बचाने के लिए चलायी जा रही वाटर माफिया मुहीम के तहत हुई परिचर्चा

- परिचर्चा में शामिल शहर के प्रतिष्ठित लोगों ने पानी बचाने के लिए दिए अहम सुझाव

गंगा के किनारे पर बसे बनारस में पानी का संकट गहराने लगा है। नदी में रेत का टीला बन रहा है। कुएं व तालाब सूख रहे हैं। लाखों लोग जरूरत भर साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। बावजूद इसके जमकर पानी की बर्बादी हो रही है। इसे रोकने लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से वाटर माफिया मुहीम चलायी गयी। कई दिनों की इस मुहीम के आखिरी चरण में मंगलवार को कार्यालय में परिचर्चा का आयोजन किया किया गया। इसमें शहर के प्रतिष्ठित लोग शामिल हुए और पानी बचाने के लिए अपना विचार दिया। सभी ने एकमत होकर कहा कि पानी बचाने के लिए हर किसी को जागरुक करना होगा। परिचर्चा में शामिल लोगों ने बताया कि वह यूथ व बच्चों को पानी की अहमियत बताएंगे। जिससे कि वह पानी बचाने के लिए प्रयास करें और आने वाले वक्त में उन्हें पानी की किल्लत से जूझना न पड़े। इसके साथ ही परिचर्चा में शामिल लोगों ने पानी बचाने का संकल्प लिया।

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने किया जागरुक

मुहिम की शुरुआत से अब तक दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अपने रीडर्स को यह बताया कि किस तरह हमारे पीने का लाखों लीटर पानी रोजाना नालियों में बह जा रहा है। किस तरह से लोग मोटी कमाई के लिए पानी की बर्बाद कर दे हैं। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि एक आदमी को एक दिन में कितने पानी की जरूरत होती है और वह कितना बर्बाद कर डालते हैं। इस मुहिम का मकसद लोगों को पानी की हो रही बर्बादी रोकने के लिए जागरुक करना था।

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अब जरूरत है कि हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे। घरों में छोटा वाटर टैंक बनें जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सके। बारिश का पानी रोकने के लिए भी नियम बनना चाहिए।

-वंदना, मेंबर जीसीआई काशी शिवगंगा

आज लगभग हर घर में वाटर प्यूरीफाई लगाया गया है। इससे भी काफी पानी बर्बाद होता है। इस पानी को सेव करके गमलों में पौधों की सिंचाई में उपयोग किया जा सकता है।

-नीता सैगल, प्रसिडेंट, जेसीआई काशी शिवगंगा

आरओ वाटर सप्लाई करने वाले भूमिगत जल का दोहन कर रहे हैं। अगर लोग आरओ वाटर छोड़ सरकारी नल या बोरिंग का पानी पिये तो जल का दोहन कम हो जाएगा।

रीचा मिश्रा, असिस्टेंट प्रोफेसर, आर्य महिला पीजी कॉलेज

पेयजल पाइप लाइन से लीकेज से लाखों लीटर पानी बह जाता है। इसे रोका नहीं गया तो पानी की किल्लत झेलनी पड़ेगी। फ्लश करने मे भीं पानी बर्बादी बहुत ज्यादा होती है।

-मोनिका पांडेय, सदस्य, महिला एकता समिति

पानी को लेकर सचेत होने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि बनारस भी कैपटाउन बन जाए। हमें उन लोगो को देखकर सीख लेनी चाहिए और पानी की बचत करनी चाहिए।

-शबाना आफताब, सोशल वर्कर

ग्राउंड वाटर का लेवल मेनटेन करने के लिए पौधे लगाना होगा। एक समय था जब वॉटर रीचार्ज के लिए जलाशय, कुआं, झील हुआ करती था, जो अब समाप्त हो गयी हैं।

-इंद्रपाल सिंह बद्दा, बिजनेस मैन

अवेयरनेस प्रोग्राम चलाकर लोगों को पानी की बर्बादी रोकने के लिए मोटीवेट करने की जरूरत है। इसके लिए संगठन बनाकर काम किया जाना चाहिए।

सोनाली सिन्हा, सोशल वर्कर

सिटी में मल्टी स्टोरी कॉम्प्लेक्स का चलन बढ़ गया है। इससे ग्राउंट वाटर का जरूरत से ज्यादा दोहन हो रहा है। इसे रोकने के लिए सख्त नियम बनाना चाहिए।

पूनम जायसवाल, सदस्य महिला एकता समिति

लोगों को जरूरत के हिसाब से पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन बहुत से लोग बर्बाद करते हैं भूमिगत जल रीचार्ज नहीं हो पा रहा है। इससे वॉटर लेवल नीचे जा रहा है।

अभिषेक विश्वकर्मा, सोशल वर्कर

पानी का दोहन रोकने के लिए सख्त नियम हैं लेकिन उस पर अमल नहीं होता है। गैरजिम्मेदार लोग लगातार जरूरत से ज्यादा पानी का दोहन कर उसे बर्बाद कर रहे हैं।

आकाश जायसवाल, व्यापारी

पानी की बर्बादी आम लोग तो कर रहे है, लेकिन इसमें सरकारी विभाग और अन्य संस्थाएं भी पीछे नहंी है। हर रोज डेली हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। इसे रोकने चाहिए।

अनिल शर्मा, व्यापारी

घरों में जिस पानी से बर्तन, कपड़े धो रहे हैं उसके री-साइकिल की व्यवस्था होनी चाहिए। गाड़ी की धुलाई घर में ही करें। जलकल विभाग खराब पाइप लाइन लगातार बदल रहा है।

प्रवीण कुमार वर्मा, टैक्स इंस्पेक्टर, जलकल विभाग

पानी की बर्बादी रोकने का सबसे बेहतर तरीका लोगों में अवेयरनेस लाना है। रही बात विभाग की तो पानी बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

सुरेन्द्र श्रीवास्तव, टैक्स सुप्रिटेंडेंट, जलकल विभाग